Monday, November 7, 2011

ब्रह्मांड !!!!

कितनी चीजें -------------
प्यारे दोस्तों मैं तुमसे एक सीधा सा सवाल करूँ? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब तुम सब दे सकते हो | यह रहा सवाल ---- क्या तुम उन तमाम चीजों के नाम बता सकते हो, जो आज तुमने, जब से तुम सुबह   से उठे हो   और  रात  को सोने गये हो , तब तक देखी हैं ?
बहुत आसान बात है , है न ? तो सोचना शुरु करो --वे कौन कौन सी तमाम चीजें हैं जो आज तुमने सुबह आँख खोलते ही देखी ?
पलंग ,तकिया, कमरे की दीवारें , दीवार पर टंगा कलेंडर , लौटे में पानी , कुर्सी , मेज , चारपाई , मेज पर किताबें, छात पर टंगा बल्ब , दीवार पर घड़ी,खुली खिड़की , खिड़की के पर खड़े पेड़ , उगता सूरज ,----कितनी सारी चीजें !
और जब  तुम बाहर  बरामदे  में गये तब तुमने क्या देखा ? बाहर का आंगन , मुर्गी ,और इधर उधर दौड़ते हुए उसके चूजे ---अरे देखो --देखो इस सरारती मुर्गी ने क्या कर डाला ! काल मैंने जो गुलाब का पौधा रोपा था , उसके नीचे की मिट्टी खोद डाली ,है ---- ऐसा मन होता है की इसको बाहर खदेड़ दूं--पर तब मुझे अंडे कहाँ से मिलेंगे ?
आंगन के पार
  झाड़ियाँ और फूलों से गमकते पौधे ---हिबिस्क्स , डेहलिया , गुलाब , चमेली | आज गुलाब पार दो फूल खिले हैं ---उनमें से एक तोड़ लूँगा |
आहाते में कई तरह के पेड़ हैं ---आम, इमली ,नीम, गुलमोहर---अरे देखो दो गिलहरियाँ आम की डालियों पार दौड़ रही हैं और गुलमोहर पार कौवे का घोंसला भी है |
और तुमने क्या देखा ?
जब मैं दाँत सफ़ करने गया , तब देखा ---धातु के नल से ठंडा पानी आ रहा था , लाल रांग की बाल्टी देखी, जिसमें पानी गिर रहा था ----
रसोई घर में रोटी बनाती माँ , बर्तन , अंगीठी में आग , स्टैंड पर प्यालियाँ ,तश्तरियां ---चीनी के डिब्बे की और बढ़ रही चींटीयों का एक जलूस ---यही सब |
बस यही ? और इसके इलावा कुछ नहीं देखा ? नाश्ते के बड़ तुमने क्या किया ?
ओह --बहुत सारी चीजें थीं , जिन्हें मैंने नहीं देखा ? नाश्ते के बड़ जैसे ही मैं स्कूल के लिए चला, डामर की सड़क जिस पर रिक्शा और बसें , बैलगाड़ियाँ भी जा रहीं थीं | सड़क के एक और बिजली के  खम्भे , इसके पर हारे भरे खेत और दूर बहुत दूर पहाड़ियां और जंगल | खेतों के बीच भागती एक रेल की पटरी , जिस पर धुआं छोडती पूरब की और चली जा रही रेल | सड़क के  दूसरी  तरफ एक तालाब जिसमें नहाती हुयी भैंसें | मैंने एक हाथी भी देखा --- हाथी के ऊपर रखी हारी पत्तियों के ढेर पर एक आदमी भी बैठा हुआ था |होते छोटे dibbon
ज्यों ही मैं स्कूल पहुंचा , फाटक के बाहर मैंने छोटी सी दुकान देखी , जिसमें तरह तरह के रंगों की कांच की बर्नियाँ रखी हुयी थीं | उसके ठीक बाजू में छोले की दूकान , नमकीन और मीठी मुन्ग्फलियाँ और कई तरह की खाने की चीजें चीजें रखी हुयी | दुकानों पर उमड़ते ढेर सारे बच्चे भी मैंने देखे |
फाटक के अन्दर ढेर सारे कमरे , हर कक्षा के बाहर तख्तियां , कक्षा में खड्या , श्याम- पट , नक़्शे और दुनिया का गोला और जब स्कूल से घर लौटा तो भी मैंने ढेर सारी चीजें देखी | और जब रात हो गयी तो तुमने क्या देखा ?
आकाश में चमकता हुआ चाँद, इसके चारों ओर टिमटिमाते असंख्य तारे -----जुगनू |
तो तुमने देखा होगा  की   दिन  भर  में हम  जिन  चीजों  को  देखते  हैं  उनको  याद  रख  पाना  बड़ा  मुश्किल  काम  है  | लेकिन  चीजें हम  रोज  देखते  हैं  | तो , उस  सीधे  से सवाल  का जवाब  इतना  आसान  नहीं  है  | पर  दोस्तों  परेशन  होने  की  जरूरत  नहीं  है  | कोई  भी उन  तमाम  चीजों  को  नहीं  गिना  सकता  , जो  उसने  दिन  भर  में देखी हैं | क्यों  ? क्योंकि वे बहुत--बहुत सारी हैं |
मिटटी , हवा , पानी , आकाश ,तारे , बादल, चंद्रमा, पेड़--पौधे , फूल, पक्षी, जानवर, मछलियाँ,सांप,कीड़े--मकौड़े , मनुष्य, बरसात, धूप, बर्फ ----हमारे चारों तरफ बिखरी कई सारी चीजें हैं | क्या हम इन्हें गिन सकते हैं ? सौ होंगी? एक हजार होंगी ? नहीं --नहीं , सौ  नहीं , हजार नहीं , लाख  और करोड़ नहीं , और भी जयादा --- इतनी सारी चीजें गिनी नहीं जा सकती | और ये सब एक बड़े , बहुत बड़े परिवार का हिस्सा हैं | क्या तुम में से कोई इस परिवार का नाम बता सकता है ?
नहीं ?
ब्रह्मांड !!!
छोटी से छोटी चिंटी , बड़े, से बड़ा हाथी , पक्षी , चौपाये और उनमें मनुष्य ---- पानी और रेत , आकाश और तारे , पर्वत और समुन्द्र , फूल और मधुमखियाँ -- छोटी चीज से लेकर बड़ी , तुम मेरे दोस्त और मैं खुद -- हम सब किससे जुड़े हैं ?
ब्रह्मांड से !!
तो दोस्तों , इस बड़े परिवार का जिससे हम जुड़े है , नाम मत भूलो ---- ब्रह्मांड !!!!