Tuesday, July 8, 2014

बड़ा मोर्चा

इसमें कोई शक नहीं कि आज का दौर काफी चुनौती पूर्ण है । खासकर वर्गीय संगठनों और सेकुलर विचार के लिए । इसके लिए सभी प्रगतील , जनवादी , खुले दिमाग विचारशील लोगों  , प्रो पीपल आंदोलनों व व्यक्तियों - सबको मिलकर  बड़ा मोर्चा बनाने का वक्त आ गया लगता है । 

स्वतंत्र वो वजूद

मेरा स्वतंत्र वो वजूद
मेरे से किसने पूच्छा था कि वहां
पैदा होना भी चाहता हूँ मैं कि नहीं
वो घर वो गाओं वो जिला वो प्रदेश
वो देश वो मजहब चिपक से गए
बिना कभी पूच्छे मेरे वजूद के साथ
बहुत बार अहसास करवाया जाता
मेरे इस प्रकार के अनचाहे वजूद का
मेरी मानवता मेरा स्वतंत्र वो वजूद
पता नहीं कहाँ खो गया ढूंढ रहा हूँ
ढूंढ नहीं पाया अभी तक तो शायद
कभी इसे ढूंढ भी पाऊंगा कि नहीं

rahbar


कुछ भी कहने से दिल आज बहुत ही डरता है
  
ये हर जगह पर चुप ही रहना पसंद करता है  

मौका मिलते ही ठग लेगा हमको मेरे यारो  

वही जो हमारे रहबर होने का ढोंग भरता है 


एक नया ट्रेंड

 एक नया ट्रेंड 
आज की मोहब्बत फेसबुक और व्हाट्सअप हो गई हैं बताते यारो 
धीरे - धीरे दोस्ती और फिर मोहब्बत का अहसास हैं  जताते यारो 
फिर नम्बरों का आदान प्रदान होता पूरी रात जागके बिताते यारो  
मोहब्बत के पाठ पढ़े जाते हैं ,वादों का सिलसीला है  चलाते यारो  
और फिर मॉल में मुलाकातें शुरू हो हाँ में हाँ कुछ रोज मिलाते यारो 
कुछ दिन का सिलसिला फिर किसी बात पर तकरार बनाते यारो 
और फिर अन्फ्रेंड का बटन दब जाता है सब कुछ फिर भुलाते यारो 
और फिर एक नया चेहरा उस पर लाइक कर  नया प्यार रचाते यारो 
सिलसिला जारी है चार के बाद पांचवें प्यार से फेरे फिर घुमाते यारो 
दो तीन साल चलता किसी तरह  फिर तलाक का परचम  उठाते यारो