बात पते की
1857 के बाद के वर्षों में अंग्रेज उपनिवेशवादियों ने सामंतों जागीरदारों से अपनी मित्रता को गहरा किया , जातपात के भेदों को बढाया और हिन्दू मुसलमान के बीच नफरत और द्वेष पूर्ण स्पर्धा के जहरीले बीज बोये । आज हमारे शाषक भी उन्ही के पद चिन्हों पर चल रहे हैं ।
1857 के बाद के वर्षों में अंग्रेज उपनिवेशवादियों ने सामंतों जागीरदारों से अपनी मित्रता को गहरा किया , जातपात के भेदों को बढाया और हिन्दू मुसलमान के बीच नफरत और द्वेष पूर्ण स्पर्धा के जहरीले बीज बोये । आज हमारे शाषक भी उन्ही के पद चिन्हों पर चल रहे हैं ।
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