क्या है?*
*एनआरसी और नागरिकता कानून और उसके पीछे के मंसूबे*
*प्रश्न 1 :*
*नागरिकता संशोधन कानून 2019 का विरोध क्यों हो रहा है , जबकि संसद के दोनों सदनों ने इसे बहुमत के साथ पारित कर दिया है ?*
*उत्तर :*
*इस कानून का विरोध इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह कानून हमारे संविधान की बुनियादी आत्मा, धर्मनिरपेक्ष स्वरूप और ढांचे पर सीधे चोट करता है । हमारा संविधान धर्म, जाति , नस्ल ,लिंग, भाषा या जन्म स्थान के नाम पर भेदभाव नहीं करता है। हमारे संविधान में अनुच्छेद 5 से 11 तक स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कौन भारत का नागरिक बन सकता है:*
*अनुच्छेद 5 जन्म से नागरिक :*
1. *यदि कोई व्यक्ति भारत में जन्मा हो तो वह भारत का नागरिक होगा*
2. *यदि उसके माता-पिता में भारत में जन्मे हों*
3. *यदि उसके माता-पिता में से कोई एक भारत में जन्मा हो*
4. *यदि कोई व्यक्ति संविधान लागू होने से पूर्व लगातार 5 वर्षों तक भारत में रहा हो , तो वह भारत का नागरिक होगा।*
*अनुच्छेद 6 के अनुसार पाकिस्तान से आने वालों के संबंध में:*
1. *वे लोग जो 19 जुलाई 1948 तक या उससे पहले भारत में आए हों भारत के नागरिक होंगे।*
2. *जो 19 जुलाई 1948 को या उसके बाद भारत आया हो वह पंजीकरण के द्वारा भारत का नागरिक बन सकता है। किंतु उसके लिए कम से कम 6 माह का भारत में निवास आवश्यक है । उन्हें भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन देना होगा।*
*अनुच्छेद 7:*
*ऐसे व्यक्ति जो 1 मार्च 1947 को पाकिस्तान चले गए वह भारत के नागरिक नहीं होंगे। किंतु अगर वह 19 जुलाई 1948 से पहले भारत वापस आ गए तो वे भारत के नागरिक होंगे ।*
*अनुच्छेद 8 भारत में जन्मा हो और विदेश में रहता हो :*
*ऐसे व्यक्ति जो भारत सरकार अधिनियम 1935 के अंतर्गत जो भारत में जन्मे थे मगर विदेश में रहते हैं वह भारत के नागरिक नहीं होंगे।*
*अनुच्छेद 9 विदेशी नागरिकता लेने पर:*
*यदि कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जाएगी ।*
*अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता:*
*प्रत्येक व्यक्ति जो इस भाग के पूर्वगामी प्रावधानों के तहत भारत के नागरिक हैं, या किसी कानून के प्रावधानों के अधीन होगा जो संसद द्वारा तैयार किया जा सकता है, ऐसे नागरिक बने रहेंगे ।*
*अनुच्छेद 11 संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार को नियंत्रित करने के लिए कानून:*
*नागरिकता के विषय पर विधि बनाने का अधिकार संसद के पास है।*
*यह कानून उपरोक्त इन सारे प्रावधानों का उल्लंघन है और धर्म को नागरिकता का आधार बनाता है।*
No comments:
Post a Comment