Thursday, October 13, 2011

EK BAAT__6 line kee

सब कल्लर की जमीन है बीज उगा नहीं सकते ||
काली रात बड़ी भारी आजकल  कुछ हिला नहीं सकते ||
हमारी इस उजड़ी  बस्ती में अभी भी तुम ऐ यारो
चिंगारी यहाँ ढूंढते क्यों जब आग लगा नहीं सकते||
निराश मत हो  ऐ दोस्तों वोह सुबह कभी तो आयेगी
जब जनता जागेगी आस बिलकुल मिटा नहीं सकते ||

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