हम सोच समझ कर जालिम से टकरायेंगे ||
जाने संकट ये कितने रास्ता रोकने आएंगे ||
हैवानों से टकराकर बच रहना आसान कहाँ
मैदाने जंग में जंग बाज असल बन जायेंगे||
गाली दो को मिलती दुश्मन को या मित्र को
कहीं हो न नाम हमारा कैसे सुखसे सो पाएंगे
उनकी जिद इतनी तो अपनी भी कुछ तो रहे
हैवान नहीं इंसान बनकर उन्हें हम दिखलायेंगे ||
कौन बचेगा क्या होगा फिकर नहीं है इसका
यह कलम सलामत रहे सच को सामने लायेंगे ||
यूं मरना भी क्या मरना दिल से ये आवाज उठी
पीठ दिखा कर नहीं भागेंगे गोली छाती पे खायेंगे ||
दोस्ती भी दिखावटी तुम्हारी दुश्मनी हमें है मंजूर
रणबीर ये जंग के तरीके हम अपने ही अपनाएंगे||
No comments:
Post a Comment