तर्ज : दुख मालिक नै गैरया
बदेशी कम्पनी
आगी,
हमनै
चूट-चूट
कै
खागी
अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान
सै।।
हमनै
पूरे
दरवाजे
खोल
दिये
बदेशियां
नै
हमले
बोल
दिये
ये
टाटा
बिड़ला
साथ
मैं
रलगे
उनकै
घी
के
दीवे
बलगे
बिगड़ी
म्हारी
तसबीर,
या
संकट
मैं
ज्यान
सै।।
पहली
चोट
मारी
रूजगार
कै
हवालै
कर
दिये
सां
बाजार
कै
गुजरात
मैं
आग
लवार्इ
क्यों
मासूम
जनता
या
जलार्इ
क्यों
गर्इ
कड़ै
तेरी
जमीन,
घणा
मच्या
घमसान
सै।।
या
म्हारी
खेती
बरबाद
करदी
धरती सीलिंग तै आजाद करदी
किसे
नै
भी
ख्याल
ना
दवार्इ
का
भट्ठा
बिठा
दिया
पढ़ार्इ
का
घाली
गुरबत
की
जंजीर,
या
महिला
परेशान
सै।।
या
सल्पफाश
की
गोली
सत्यानासी
हरदूजे
घर
मैं
ल्यादे
उदासी
आठ
सौ
बीस
छोरी
छोरा
हजार
यो
बढ़या
हरियाणे
मैं
अत्याचार
यो
लिखै
साची
सै
रणबीर,
नहीं
झूठा
बखान
सै।।
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