Thursday, May 19, 2011

DABANG PAHLE AUR AAJ BHI

भूमंडल  के सभी देशों में स्वभाव से ही सबल निर्बल को अपने स्वार्थों  का साधन बनाता  रहा है और अब भी बनाता  है | पुराने इतिहासों और  धर्म शाश्त्रों को देखते हैं तो यह बात निर्विवाद सिद्ध होती है | विद्वान् अपढ़ों को  ,बलवान कमजोरों को ,धनवान गरीबों को अपने हाथों की कटपुतली बना कर रखना चाहते हैं | प्रकृति ने स्त्रियों को एक खास अभिप्राय   से उसी तरह जनम दिया है जैसे पुरुषों को | अभीष्ट सिद्धि  के लिए पुरुषों को अधिक बल दिया और स्त्रियों को पुरुषों से कुछ कोमल बनाया पर स्त्रियों की इस सुकुमारता का पुरुषों ने अनुचित लाभ उठाया | आज कल भी , कहीं कम कहीं जयादा , यही बात देखने को मिलती है |

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