तर्ज
:
चौकलिया
आपा धापी माच रही चारों कूट रोल्या
पड़ग्या।
एक दूजे का गल काटैं नाज गोदामां
मैं
सड़ग्या।।
ये
घर
बणे
तबेले
लोगो
रही
माणस
की
खोड़
नहीं
सोच
तै
परहेज
करैं
बात
का
टोहते
औड़
नहीं
झूठ
पै
चालै
पूरी
दुनियां
साच
का
जुलूस
लिकड़ग्या
मेहनत
करी
लोगां
नै
विज्ञान
नै
राह
दिखाया
या
दुनिया
बदल
दर्इ
घणा
खून
पसीना
बाहया
लालची
नै
डाण्डी
मारी
गरीब
कै
साहमी
अड़ग्या।।
न्याय
की
बात
भूलगे
नहीं
ठीक
करया
बंटवारा
पांच
सितारा
होटल
दूजे
कान्ही
फूटया
ढारा
गरीब
की
कमार्इ
का
मुनाफा
अमीर
कै
बड़ग्या।।
टीवी
पै
सपने
हमनै
आज
बूख
दिखाये
जावैं
रणबीर
तै
लालच
दे
कै
उल्टे
प्रचार
कराये
जावैं
सच्चार्इ
नै
भूल
गए
भोग
मैं
माणस
बड़ग्या।।
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