Monday, April 25, 2011






  • ये फैज अहमद फैज का जन्‍मशताब्‍दी वर्ष है। इस मौके पर हिंदी की जिस पहली पत्रिका ने उन पर विशेषांक निकाला है, वह है नया पथ। इसके संपादक हैं वरिष्‍ठ आलोचक मुरली मनोहर प्रसाद सिंह। एक जनवरी को सफदर की याद में हर साल लगने वाले मेले में नया पथ के इस अंक का लोकार्पण हुआ। उस दिन हर तीसरे हाथ में ये पत्रिका नजर आ रही थी। शेष नारायण जी ने बाद में फोन पर बताया कि इस पत्रिका को तो पढ़ो ही, इसमें मनमोहन का लेख जरूर पढ़ना। फिर उन्‍होंने बताया कि मनमोहन कितने बड़े कवि हैं और कैसे राजेश जोशी कहते रहे हैं कि मुझे मनमोहन की कविताओं से डर लगता है। उन्‍होंने नया पथ के इस अंक की इमेज फाइल मुहैया भी करायी, लेकिन हम उसे टेक्‍स्‍ट में कनवर्ट नहीं कर पाये। भला हो श्री सत्‍यानंद निरुपम का कि उन्‍होंने वाया मुरली बाबू पूरा का पूरा टेक्‍स्‍ट हमें मेल कर दिया। हमारी आदतों के मद्देनजर उन्‍होंने धमकी भी दी कि शीर्षक से छेड़छाड़ मत कीजिएगा और नया पथ का पूरा पता जरूर दीजिएगा। तो नया पथ का पूरा पता है : 42, अशोक रोड, नयी दिल्‍ली 110001, फोन : 23738015, 27552954, 22750117, ईमेल : jlscentre@yahoo.कॉम

KHAP PANCHAYAT AUR HAMARA SAMAJ

"खाप पंचायत और हमारा समाज " उद्भावना मैगजीन  का ९१ वाँ अंक हरयाणा के मध्यम वर्ग को जरूर पढना चाहिए |इनका अपना कोई इतिहास नहीं है --बताया श्री सूरजभान भारद्वाज इतिहासकार ने | और भी बहुत सी बातें हैं | डा महावीर नरवाल का लेख -"गोत्र विवाह और अनुवांशिक   प्रभाव " पढना चाहिए |खंड  1 ----खाप पंचायतों कि ऐतिहासिक प्रष्टभूमि| खंड २---खाप पंचायतों का वर्तमान स्वरूप | खंड--३ :मानव अधिकार और खाप पंचायत |  खंड--४: मीडिया और खाप पंचायत | खंड--५: सर्जनात्मक अभिव्यक्ति ---जब चले खाप का लठ|   कहानी और व्यंग आदि |