Thursday, February 9, 2023

आँख फाड़ दिमाग़ को हिला देने वाला सच, 

 *आँख फाड़ दिमाग़ को हिला देने वाला सच, पढ़ कर आप भी आश्चर्य चकित रह जायेंगे ?*

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भारत में कुल 4120 MLA और 462 MLC हैं अर्थात कुल 4,582 विधायक।
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प्रति विधायक वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 2 लाख का खर्च होता है। अर्थात
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91 करोड़ 64 लाख रुपया प्रति माह। इस हिसाब से प्रति वर्ष लगभ 1100 करोड़ रूपये।
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*www.crazyexam.in*

भारत में लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसद हैं।
इन सांसदों को वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 5 लाख दिया जाता है।
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*www.examtours.in*

अर्थात कुल सांसदों का वेतन प्रति माह 38 करोड़ 80 लाख है। और हर वर्ष इन सांसदों को 465 करोड़ 60 लाख रुपया वेतन भत्ता में दिया जाता है।
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अर्थात भारत के विधायकों और सांसदों के पीछे भारत का प्रति वर्ष 15 अरब 65 करोड़ 60 लाख रूपये खर्च होता है।
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ये तो सिर्फ इनके मूल वेतन भत्ते की बात हुई। इनके आवास, रहने, खाने, यात्रा भत्ता, इलाज, विदेशी सैर सपाटा आदि का का खर्च भी लगभग इतना ही है।
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अर्थात लगभग 30 अरब रूपये खर्च होता है इन विधायकों और सांसदों पर।
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अब गौर कीजिए इनके सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के वेतन पर।
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एक विधायक को दो बॉडीगार्ड और एक सेक्शन हाउस गार्ड यानी कम से कम 5 पुलिसकर्मी और यानी कुल 7 पुलिसकर्मी की सुरक्षा मिलती है।
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7 पुलिस का वेतन लगभग (25,000 रूपये प्रति माह की दर से) 1 लाख 75 हजार रूपये होता है।
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इस हिसाब से 4582 विधायकों की सुरक्षा का सालाना खर्च 9 अरब 62 करोड़ 22 लाख प्रति वर्ष है।
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इसी प्रकार सांसदों के सुरक्षा पर प्रति वर्ष 164 करोड़ रूपये खर्च होते हैं।
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Z श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त नेता, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए लगभग 16000 जवान अलग से तैनात हैं।
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जिन पर सालाना कुल खर्च लगभग 776 करोड़ रुपया बैठता है।
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इस प्रकार सत्ताधीन नेताओं की सुरक्षा पर हर वर्ष लगभग 20 अरब रूपये खर्च होते हैं।
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*अर्थात हर वर्ष नेताओं पर कम से कम 50 अरब रूपये खर्च होते हैं।*
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इन खर्चों में राज्यपाल, भूतपूर्व नेताओं के पेंशन, पार्टी के नेता, पार्टी अध्यक्ष , उनकी सुरक्षा आदि का खर्च शामिल नहीं है।
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यदि उसे भी जोड़ा जाए तो कुल खर्च लगभग 100 अरब रुपया हो जायेगा।
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अब सोचिये हम प्रति वर्ष नेताओं पर 100 अरब रूपये से भी अधिक खर्च करते हैं, बदले में गरीब लोगों को क्या मिलता है ?
*क्या यही है लोकतंत्र ?*
*(यह 100 अरब रुपया हम भारत वासियों से ही टैक्स के रूप में वसूला गया होता है।)*
_एक सर्जिकल स्ट्राइक यहाँ भी बनती है_
◆ भारत में दो कानून अवश्य बनना चाहिए
→पहला - चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध
नेता केवल टेलीविजन ( टी वी) के माध्यम से प्रचार करें
→दूसरा - नेताओं के वेतन भत्तो पर प्रतिबंध
| तब दिखाओ देशभक्ति |
प्रत्येक भारतवासी को जागरूक होना ही पड़ेगा और इस फिजूल खर्ची के खिलाफ बोलना पड़ेगा ?
*इस मेसेज़ को जितना हो सके फेसबुक और व्हाट्सअप ग्रुप में फॉरवर्ड कर अपनी देश भक्ति का परिचय दें।*
सादर निवेदन
माननीय PM and CM जी,
कृपया सारी *योजना बंद कर दीजिये।*
सिर्फ
*सांसद भवन जैसी कैन्टीन हर दस किलोमीटर पर खुलवा दीजिये ।*
सारे झगड़े ख़त्म।
*29 रूपये में भरपेट खाना मिलेगा..*
80% लोगों को घर चलाने का झगड़ा ख़त्म।
*ना सिलेंडर लाना, ना राशन*
और
घर वाली भी खुश ।
*चारों तरफ खुशियाँ ही रहेगी।*
फिर हम कहेंगे सबका साथ सबका विकास ।
*सबसे बड़ा फायदा 1र् किलो गेहूँ नहीं देना पड़ेगा*
और
*PM जी को ये ना कहना पड़ेगा कि मिडिल क्लास के लोग अपने हिसाब से घर चलाएँ ।*
इस पे गौर करें
कृपया कड़ी मेहनत से प्राप्त हुई ये जानकारी देश के हर एक नागरिक तक पहुँचाने की कोशिश करे ।
शान है या छलावा...।
पूरे भारत में एक ही जगह ऐसी है जहाँ खाने की चीजें सबसे सस्ती है ।
चाय = 1.00
सुप = 5.50
दाल= 1.50
चावल =2.00
चपाती =1.00
चिकन= 24.50
डोसा = 4.00
बिरयानी=8.00
मच्छी= 13.00
ये *सब चीज़ें सिर्फ गरीबों के लिए है और ये सब Available है Indian Parliament Canteen में।*
और उन *गरीबों की पगार है 80,000 रूपये महीना वो भी बिना income tax के ।*
आपके Mobile में जितने भी नम्बर save है सबको forward करें ताकि सबको पता चले …
कि यही कारण है कि इन्हें लगता है कि जो *आदमी 30 या 32 रूपये रोज़ कमाता है वो ग़रीब नहीं है।*
*Jokes तो हर रोज़ Forward करते हैं, आज इसे भी Forward करें और  भारत की जनता को एवम् संविदा कर्मियों कोजागरूक करें।*👍👍🙏🙏👍🤝🤝

सब रंग दुनिया

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First Published On: January 3, 2016

यूजीसी और सरकार को इस एकतरफा क़दम को रोकने के लिए आवाज उठाएं।

 आओ आवाज उठाएं

यूजीसी दिशानिर्देशों के मसौदे को रद्द करें
हम
विदेशी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को भारत में अपने कैंपस (परिसर) स्थापित करने की सुविधा देने के लिए UGC के कदम का कड़ा विरोध करते हैं, जिससे उन्हें 90 दिनों की अनुमोदन प्रक्रिया के बाद फीस तय करने और शिक्षकों की भर्ती में स्वायत्तता की अनुमति मिलती है। इसके चलते महंगी फीस वाले, संभ्रांत संस्थानों का निर्माण होगा जो देश में उच्च शिक्षा की संरचना को और विकृत करेगा।

इस तरह के परिसरों की स्थापना के नियमों से पता चलता है कि वे घरेलू और विदेशी छात्रों को प्रवेश देने के लिए अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया और मानदंड विकसित कर सकते हैं। उनके पास अपनी फीस संरचना तय करने की स्वायत्तता भी होगी, और भारतीय संस्थानों पर लगाए गए किसी भी कैप का सामना नहीं करना पड़ेगा।

विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों को धन की सीमा पार आवाजाही और विदेशी मुद्रा खातों के रखरखाव, भुगतान के तरीके, प्रेषण और प्रत्यावर्तन की भी अनुमति होगी।

इससे स्पष्ट है कि सरकार और उच्च शिक्षा प्राधिकरणों की शैक्षिक नीतियां शैक्षिक प्रक्रिया की संप्रभुता को कमजोर कर देंगी। अतीत में, भारतीय कॉरपोरेट्स को संस्थान स्थापित करने की अनुमति दी गई है, उन्हें राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का दर्जा दिया गया है, जिसके बाद सार्वजनिक रूप  में कोई और विकास नहीं हुआ है। भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र नई शिक्षा नीति के बाद और कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के अति उत्साही प्रयास से जूझ रहा है। सभी अध्ययनों से पता चला है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ड्रॉपआउट दर में तेजी से वृद्धि हुई है। आर्थिक और सामाजिक असमानताओं का शिकार होने वाले छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच गंभीर खतरे में है। इस तरह यह प्रस्तावित कदम देश में उच्च शिक्षा की मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम नहीं होगा।

हम दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि यूजीसी और सरकार इस मसौदा प्रस्ताव को रद्द करे और शिक्षकों, छात्रों और उन सभी संगठनों के साथ परामर्श शुरू करें जो उच्च शिक्षा के भविष्य हेतु गम्भीर रूप से चिंतित हैं। यूजीसी को यह भी समझना चाहिए कि वह राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना एकतरफा वैधानिक रूप से कदम नही उठा सकती है ।

हम सभी लोकतांत्रिक और देशभक्त ताकतों से अपील करते हैं कि वे यूजीसी और सरकार को इस एकतरफा क़दम को रोकने के लिए आवाज उठाएं।
डॉ रणबीर
जन स्वास्थ्य अभियान
हरियाणा ।

Slogans

 महिला सुरक्षा कर न सके जो

वो सरकार निकम्मी है!

महिलाओं का यौन उत्पीड़न
नहीं बर्दाश्त, नहीं बर्दाश्त!

महिला उत्पीड़न नहीं सहेंगे, नहीं सहेंगे!

महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ नहीं चलेगा!

दोषी मंत्री को सज़ा दो!

जूनियर महिला कोच को न्याय दो!

संदीप सिंह हाय हाय!

हरियाणा सरकार शर्म करो!
शर्म नहीं तो डूब मरो!!

महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करो!

खट्टर तेरे राज में,
न्याय नहीं समाज में!

प्रेस विज्ञप्ति

 प्रेस विज्ञप्ति

आज दिनांक 12 जनवरी 2023 विवेकानंद जयंती के अवसर पर नागरिक मंच ,रोहतक के संयुक्त तत्वाधान में दर्जनों संगठनों ने महिला कोच को न्याय दिलवाने के लिए अंबेडकर चौक से मेडिकल मोड़ तक मार्च निकाला। मार्च में 150 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।अंबेडकर चौक पर जमकर नारेबाज़ी करते हुए सगठनों ने मंत्री को बर्खास्त करके तेज़ी से जांच पूरी करने की मांग उठाई। सभा का आरम्भ करते हुए नागरिक मंच की ओर से लाभ सिंह हुडा ने सरकार से महिला कोच के साथ न्याय करके विवेकानंद को सच्ची श्रद्धांजलि देने का आह्वान किया। जनवादी महिला समिति की जिला अध्यक्ष मनीषा ने महिला उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के लिए सरकार के रुख को जिमेदार बताया। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रांतीय महासचिव सुमित ने महिला कोच के लिए किसानों के समर्थन की बात की। रिटायर्ड कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामकिशन ने इसे महिला    कर्मचारियों का उत्पीड़न बताया। नागरिक मंच की ओर से बोलते हुए प्रोफेसर प्रमोद गौरी ने कहा कि यह सरकार युवा दिवस मना रही है लेकिन युवा लड़कियों और महिलाओं का शोषण करवा रही है। विवेकानंद महिलाओं और दलित समाज की उन्नति की बात करते थे। दिशा छात्र मंच से इंद्रजीत ने देश में महिला उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर की। डाक्टर रणबीर दहिया ने महिला कोच की सुरक्षा हटा लेने को सरकार की ओर से अपराध को संरक्षण देने की कार्यवाही बताया। मार्च को कप्तान शमशेर सिंह मलिक, अमित, हरीश, सुशीला,वीरेंद्र हुडा आदि ने भी संबोधित किया। इन वक्ताओं ने एक्स सर्विस मैन लीग, ए आई डी एस ओ , एस एफ आई, किसान प्रतिष्ठा मंच की ओर से न्याय की मांग की। तमाम संगठनों ने महिला कोच को न्याय मिलने तक आंदोलन की कार्यवाहियां जारी रखने का एलान किया।
जारी कर्ता
प्रमोद गौरी
नागरिक मंच रोहतक।
Some more to add pl
आज नागरिक मंच रोहतक के आह्वान पर हरियाणा के खेल मंत्री की बर्खास्तगी व गिरफ्तारी की मांग को लेकर किए गए परोटेस्ट मार्च में भारी संख्या में भाग लेने वाले अन्य छात्रों, महिलाओं, दलितों, किसानों युवाओं,मजदूरों,पूर्व सैनिकों, रिटायर्ड कर्मचारी आदि संगठनों ने मंत्री की बर्खास्तगी की मांग के अलावा संदीप सिंह को हरियाणा ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष से भी तुरन्त हटाए जाने की मांग करी है।

न्याय मार्च

    *स्वामी विवेकानंद जयंती*

                 के अवसर पर
                  *न्याय मार्च*
हरियाणा की भाजपा  सरकार के खेल
मंत्री की गिरफ़्तारी और बर्खास्तगी की पुरज़ोर मांग के लिए विरोध मार्च किया।
      आज : 12 जनवरी 2023*
      समय : दोपहर बाद *2:00 बजे*
मार्च *अंबेडकर चौक से शुरू होकर पॉवर हाउस, रोहतक* पर समाप्त हुआ।
     आज नागरिक मंच रोहतक के आह्वान पर हरियाणा के खेल मंत्री की बर्खास्तगी व गिरफ्तारी की मांग को लेकर किए गए परोटेस्ट मार्च में भारी संख्या में भाग लेने वाले अन्य छात्रों, महिलाओं, दलितों, किसानों युवाओं,मजदूरों,पूर्व सैनिकों, रिटायर्ड कर्मचारी आदि संगठनों ने मंत्री की बर्खास्तगी की मांग के अलावा संदीप सिंह को हरियाणा ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष से भी तुरन्त हटाए जाने की मांग करी है।
*नागरिक मंच रोहतक।*

लोहड़ी का यो त्यौहार

 


उत्तर भारत मैं लोहड़ी का यो त्यौहार जावै मनाया।।
मकर सक्रांति के आस पास मनाते कई त्यौहार
बताया।।
पंजाब मैं लोहड़ी का त्यौहार जोर लगा मनाया जावै
तमिलनाडु मैं हिन्दू पोंगल मनता हर घर के मैं पावै
विविध तरीके तैं मकर सक्रांति का दिन मनता पाया।।
कुछ दिन पहलम लोहड़ी तैं बालक गलियों मैं गीत गावैं
लोहड़ी खातर लकड़ी रेवड़ी मेवे मिलकै इकट्ठे करते पावैं

मकर संक्रांति के दिन तमिल हिंदू पोंगल का त्यौहार मनाते हैं । इस प्रकार लगभग पूर्ण भारत में यह विविध रूपों में मनाया जाता है । मकर संक्रांति की पूर्व संध्या को पंजाब, हरियाणा व पड़ोसी राज्यों में बड़ी धूम-धाम से लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है ।

पंजाबियों के लिए लोहड़ी खास महत्व रखती है । लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं । लोहड़ी की संध्या को आग जलाई जाती है ।

लोग अग्नि के चारो ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं व आग मे रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं । आग के चारो ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं व रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लेते हैं । जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है ।

प्राय: घर में नाव वधू या और बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है । लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था । यह शब्द तिल तथा रोडी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रुप में प्रसिद्ध हो गया ।

ऐतिहासिक संदर्भ:

किसी समय में सुंदरी एवं मुंदरी नाम की दो अनाथ लड़कियां थीं जिनको उनका चाचा विधिवत शादी न करके एक राजा को भेंट कर देना चाहता था । उसी समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक नामी डाकू हुआ है । उसने दोनों लड़कियों, सुंदरी एवं मुंदरी को जालिमों से छुड़ा कर उन की शादियां कीं ।

इस मुसीबत की घड़ी में दुल्ला भट्टी ने लड़कियों की मदद की और लड़के वालों को मना कर एक जंगल में आग जला कर सुंदरी और मुंदरी का विवाह करवाया । दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया । कहते हैं दुल्ले ने शगुन के रूप में उनको शक्कर दी थी ।

ADVERTISEMENTS:

जल्दी-जल्दी में शादी की धूमधाम का इंतजाम भी न हो सका तो दुल्ले ने उन लड़कियों की झोली में एक सेर शक्कर ड़ालकर ही उनको विदा कर दिया । भावार्थ यह है कि ड़ाकू हो कर भी दुल्ला भट्टी ने निर्धन लड़कियों के लिए पिता की भूमिका निभाई ।

यह भी कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है, इसीलिए इसे लोई भी कहा जाता है । इस प्रकार यह त्योहार पूरे उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है ।

क्या कसूर किया था गैलीलियो ने?

 क्या कसूर किया था गैलीलियो ने?

विज्ञान का हर विद्यार्थ गैलेलियो के नाम से परिचित है ।ये एक प्रसिद्ध खगोलविद थे। इन्होंने दूरदर्शी बनाया था। खगोल पिंडों का अवलोकन किया था । गति के नियमों पर काम किया था। पीसा की झुकी हुई मीनार का प्रसिद्ध प्रयोग इनके खाते में दर्ज है । ये कॉपरनिकस के सिद्धांत के समर्थक थे ।अपने अवलोकनों के द्वारा इन्होंने सूर्य केंद्रिक प्रणाली को स्थायित्व दिया था । ये चर्च की नजरों में चढ़े। इन्हें सजा मिली ।अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों ये परेशान रहे। आखिरी यह मामला क्या था? यह थी उनकी एक पुस्तक जो उनके जी का जंजाल बनी।
गैलीलियो से पहले ज्ञान की दुनिया में अरस्तु का बोलबाला था। ब्रह्मांड की भू केंद्रित प्रणाली को मान्यता थी। धर्म ग्रंथों ने इस पर मोहर लगा रखी थी। कॉपरनिकस ने सूर्य केंद्रित प्रणाली की अवधारणा रख दी थी। प्रयोग होने अभी बाकी थे। ब्रूनो ने इसका बहुत प्रचार किया था इन्हें जान से हाथ धोना पड़ा था । गैलीलियो ने बात को आगे बढ़ाया। चेतावनी भी मिली। लेकिन ये संभल कर चल रहे थे। इनके दिमाग में बहुत दूर की सोच थी। चर्च भी चौकन्ना था। इनकी हर बात पर उसकी नजर थी। जब गैलीलियो की उम्र बढ़ने लगी तो इन्होंने अपने काम को अंजाम देना चाहा। इन्होंने एक पुस्तक लिखने की सोची। सन 1630 में यह पुस्तक पूरी हुई ।पुस्तक का नाम था  डॉयलॉग कंसर्निंग दी टू चीफ वर्ल्ड सिस्टम्स । यह दो मुख्य प्रणालियां थी ब्रह्मांड का टॉलमी मॉडल और दूसरा था कॉपरनिकस का मॉडल। यह पुस्तक दार्शनिक बहस का एक बहुत सुंदर उदाहरण है। गैलीलियो इन दिनों फ्लोरेंस में रहते थे। किताब को छपवाने के लिए रोम की अनुमति अनिवार्य थी ।पुस्तक की पांडुलिपि रोम भेज दी गई। उत्तर में चेतावनी आई। गैलीलियो बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे राजघरानों में इनके परिचय थे  गैलीलियो ने पोप अर्बन अष्टम से मिलने का मन बनाया ।  ये उनके मित्र भी थे। इन्हीं की अनुमति से पुस्तक छप सकती थी। पोप अर्बन अष्टम ने कुछ अच्छी सलाह दी। साथ में खबरदार भी किया। इस खबरदारी में दोस्ती का कम ख्याल रखा गया था। तय हुआ की पुस्तक फ्लोरेंस में छपे ।पुस्तक की भूमिका में टॉलमी  मॉडल का समर्थन किया जाए और गैलीलियो स्वीकार करें कि यह उनके अनुमान है। आखिर सन 1632 में यह पुस्तक छप गई। जैसे ही पुस्तक बाहर आई चर्च की निगाहों में चढ़ी। गैलेलियो ने पुस्तक के अंदर सामग्री से कोई समझौता नहीं किया था। पोप ने एक स्पेशल कमीशन गठित किया। गैलीलियो को रोम बुलाया गया ।यह बात अगले वर्ष सन 1633 की थी। गैलीलियो से पहला ही प्रश्न यह किया गया ,  आपको पहले चेतावनी दे दी गई थी फिर आपने यह हिम्मत कैसे की? गैलेलियो ने अपने बचाव में एक पत्र पेश किया ।यह पत्र पुराना लिखा हुआ था। यह एक पूर्व पोप बैलारमाईन जो उस समय जीवित नहीं थे का लिखा हुआ था। इसमें यही लिखा हुआ था की गैलेलियो को कॉपरनिकस का समर्थन करने के लिए केवल धिक्कारा जाता है सजा की कोई बात नहीं थी ।रोम इससे संतुष्ट नहीं हुआ। गैलीलियो को कारावास की सजा सुनाई गई। लेकिन यह कारावास आसान शर्तों पर था ।पहले उन्हें एक दूतावास में रखा गया बाद में इन्हें घर में नजरबंद की इजाजत मिल गई ।अंतिम दिनों में इनकी देखभाल इनकी बेटी मारिया का लेस्टा ने की ।
अब बात आती है कि इस पुस्तक में था क्या। इस पुस्तक में 3 पात्रों के बीच वार्तालाप है। यह वार्तालाप 4 दिन चलता है एक पात्र का नाम है सालवीयती। यह एक बुद्धिजीवी है। यह गैलीलियो का पक्ष रखते हैं। यह एक प्रकार से गैलीलियो ने अपना नाम बदल कर रखा है।  दूसरे पात्र का नाम है सैग्रेडो ।यह शहर का एक धनी व्यक्ति है ।यह किसी का पक्ष नहीं लेता। यह सच्चाई जानना चाहता है। बहस में बहुत कम भाग लेता है ।कभी-कभी स्पष्टता के लिए बाकी दोनों पात्रों से कुछ पूछ लेता है ।यह एक वास्तविक पात्र है ।तीसरे पात्र का नाम है सिंपलिसीओ। यह एक काल्पनिक पात्र है ।यह अरस्तु के मत की पक्षधरता करता है। सालवीएटी और सिंपलसीओ के बीच में दो मुख्य मुद्दों पर सवाल-जवाब चलते हैं ।सैग्रेडो इन दोनों को सुनता है और समझना चाहता है। ब्रह्मांड में पिंडों की स्थिति पर सवाल होते हैं ।सिंपली सीओ टालमी और अरस्तु के उदाहरण तर्क के रूप में रखता है। इसी प्रश्न के उत्तर में साल वीटी कहता है इन पिंडों की स्थिति दूरदर्शी के द्वारा देखी जा सकती है। गति के प्रश्नों पर सिंपलीसीओ कहता है ईश्वर की मर्जी है वह इस ब्रह्मांड को कैसे भी चलाएं। यह हमें वैसे ही दिखाई देंगी जैसा वह हमें दिखाना चाहेगा ।सालवीयती का कहना था कि इन्हें समझा जा सकता है ।सिम्पलीसियो फिर प्रश्न करता है कि क्या पूर्व में व्यक्ति कम ज्ञानी थे ।उसका इशारा अरस्तु की ओर था। सालवीयती ने फिर उत्तर दिया,  उस समय लोगों के पास ऐसे साधन उपकरण या यंत्र नहीं हो सके थे ।इस समय की सुविधाएं उस समय नहीं हो सकती थी। सैग्रेडो दोनों की पूरी बहस को सुनकर सालवीएटी के पक्ष में जाकर खड़ा हो जाता है ।बहस यहां समाप्त हो जाती है ।
गैलेलिओ ने इस पुस्तक में दो तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों को रखने की कोशिश की है। प्रथम है, इस पृथ्वी पर हम चाहे कैसे भी कितने भी प्रयोग कर ले यह यथार्थ की सापेक्ष व्याख्या ही करेंगे। दूसरा था, सहज ज्ञान से अनुमान लगाए गए उत्तरों की अपेक्षा प्रयोगों एवं अवलोकनों द्वारा प्राप्त किए गए उत्तर अपेक्षाकृत ज्यादा सही होते हैं। अंत में सिंपलीसीओ को एक प्रश्न के उत्तर में -  तो फिर अथॉरिटी क्या है ? सालवियती दोनों को संबोधित करते हुए कहता है mind ,senses and observations ।