Sunday, March 17, 2013

WALLMART


                            WALLMART
समूचे विश्व में जहां-जहां वॉलमार्ट गया वहां-वहां स्थानीय बदहाली बढ़ी। कैसे स्वयं अमेरिका छोटे व्यापार को बचाने के लिए सटरडे बाज़ार बना चुका है । 121 करोड़ लोगों में से कोई 30 करोड़ ही वॉलमार्ट से सामान खरीदने जाएंगे । भाजपा, बिचौलियों के पक्ष में बात की और कोंग्रेस तो कार्पोरेट की है ही । किसान का छोटे दूकानदार का इन दोनों में कोई हिम्माती नहीं है 

विवेक


                                   विवेक 
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेक मयी वाणी कै।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
ढोंग अर अन्धविश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर् बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक धा बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।
संवेदनशील समाज होवै र्इश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोए कहवै नहीं
खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।
अदृश्य सत्ता का बो आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला ना लावै हाथ चीज बिराणी कै।।

वैज्ञानिक नजर

       वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
सादा रैहणा ऊंचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मचै चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै प्रचार किये।।
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाना 
सच्चार्इ का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै र्इब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल  खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सब डार दिये।।
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धरम के सै माणस का


तर्ज : चौकलिया
 धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोण दिखाद्यो नै।।
माणस तै मत प्यार करो कौणसा  धरम सिखावै
सरेआम बलात्कार करो कौणसा  धरम सिखावै
तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा  धरम सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा  धरम सिखावै
 धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।
र्इसरा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो।।
मानवता का तत कहैं सब  धरमां की जड़ मैं सै
प्रेम कुदरत का सारा सब  धरमां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की  धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिया यो  धरम जकड़ मैं सै
लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।।
यो जहर तत्ववाद का सब  धरमां मैं फैला दिया
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवाद्यो नै।।
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