Monday, February 6, 2023

एनएचए के डाटा से खुलासा

 एनएचए के डाटा से खुलासा

पीएम-जय योजना में लापरवाही
9 राज्यों में 7500 से अधिक अस्पतालों में एक भी मरीज भर्ती नहीं
केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य स्कीम आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम--जन) में शामिल कुल अस्पतालों में से एक तिहाई  अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती ही नहीं किया।
9 राज्यों में 7500 से अधिक ऐसे अस्पताल हैं जो आयुष्मान योजना से जुड़े लेकिन इसे लागू नहीं किया । यह खुलासा नेशनल हेल्थ एजेंसी के डेटा से हुआ है। डेटा से  पता चलता है कि पीएम-जय योजना में शामिल 28586 अस्पतालों में से 8484 शुरू से ही निष्क्रिय रहे। अस्पतालों के योजना से दूर रहने के कारणों के बारे में एनएचए के अधिकारियों ने कोई टिप्पणी नहीं की है । हालांकि एनएचए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर एस शर्मा ने कहा कि एनएचए इन अस्पतालों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जबकि निजी अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि योजना के तहत दरें और छोटे शहरों के अस्पतालों में विशेषज्ञों का कम उपलब्धता इसकी वजह हो सकती है ।
(दैनिक भास्कर 30 जनवरी 2023)

Biodata

 नाम :

डॉ रणबीर सिंह दहिया                              जन्म दिन :
11 .3 .1950  बरोना गांव में

पिता का नाम : श्री जागे राम                माता का नाम : श्रीमती हंस कौर
शिक्षा: 
सिरसा मॉडल स्कूल-- पहली कक्षा --1955
जाट प्राइमरी स्कूल रोहतक--1956 दूसरी से चौथी क्लास
जाट हायर सेकंडरी स्कूल रोहतक -5 वी से 11 रवीं ।

गवर्मेंट कॉलेज रोहतक -प्री मैडीकल 

मेडिकल कॉलेज रोहतक से -- एमबीबीएस व एम एस .।

सर्विस मेडिकल में -- 1976 से 2014(तकरीबन 38 साल )

* रिटायर्ड सीनियर प्रोफेसर और यूनिट iv हेड सर्जरी विभाग ,पीजीआईएमएस , रोहतक

 **** भूतपूर्व प्रेजिडेंट ,
हरियाणा स्टेट मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ।
संस्थापक जनरल सेक्रेटरी  : जनवादी सांस्कृतिक मंच हरियाणा 1983

अभी प्रधान, हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति।
****एक साल तक फ्री हेल्थ कैम्प टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान ।

**** साहित्यिक :

प्रकाशित
 1. पोस्ट मार्टम ( कहानी संग्रह) प्रकाशित  : 


2.मलबे के नीचे (नावल) प्रकाशित

3. 500 के लगभग रागिनी और  12 किस्से
प्रकाशित किस्से
*चन्दर शेखर आजाद

 * शहीद उधम सिंह

*किस्सा म्हारा थारा

*किस्सा चंपा चमेली

* किस्सा फौजी मेहर सिंह

* किस्सा बाजे भगत
* किस्सा  सुभाषचंद्र बोस
* किस्सा सफदर हाशमी
* किस्सा  1857
* संकट छाग्या -हरियाणवी गीत नाटिका
        अप्रकाशित किस्से
* किस्सा आण्डी सद्दाम
*किस्सा रामफल कमला
* किस्सा झलकारी बाई
*किस्सा नूर ईरानी
*किस्सा हीरो होंडा 

मेलिंग पता : पी-27, इन्द्र प्रस्थ कालोनी , सोनीपत रोड़ ,रोहतक ।  हरियाणा , इंडिया
मोबाइल न. 9812139001
डॉ रणबीर सिंह दहिया

Rohtak

 Interesting facts about History of Rohtak district. 👍👍👍

Rohtak town became the headquarters of a British District in 1824,a position which it has since retained!👍👍👍
The municipality of Rohtak was first constituted in 1867.👍👍👍
Rohtak at that time was a walled city with eleven gates,Dilli darwaja being the main gate.Town was divided into two parts; Rohtak proper and Babra. Out of total population of 15699,8180 were Hindus,6928 muslims,501 Jain's 62 Sikhs and 28 of other religions like Christianity.👍👍👍
Sheikhs occupied the fort east of the city  below which was situated the Sarai Saraogian where most of the chief Mahajans lived.
At that time income of the municipality was chiefly derived from octroi levied on the value of almost all goods brought within municipal limits.
The articles exempted from taxation were cotton,salt,opium,fermented and spiritous liquors,and articles used in dyeing!👍👍👍
Rohtak at that time was known for manufacturer of Turbans,plain and embroidered. रोहतक की पगड़ी मशहूर!👍👍👍
Major town in Rohtak district and population of the respective town as per 1881 census was Rohtak 15160,
Beri 9695,
Kalanaur town 7371,
Meham town 7315,
Kanhaur town 5251,
Sanghi town 5194,
Jhajjar  town 11242,
Bahadurgarh town 6674,
,Kharkhauda town 4144,
Butana town 7656,
Gohana town 7444,
Baroda town 5900,
Mundlana town 5469.
Thus,in the year 1881 Sanghi,Mundlana,Butana and Baroda were some of the towns of Rohtak district.
Now these are villages and,as per 2011 census the population of these villages is ;Sanghi 9108 against 5194 in 1881,Mundlana 8982 against 5452 in 1881,Baroda  (Mor) 7108 against  5900 in 1881,and  Butana ( kundu)4574 against 7656 in 1881.
Thus there has been huge exodus of trading and skilled workers from these places during this period!
Another interesting fact;in the year 1881 -82 whereas Municipal Income of Rohtak Municipality was 8036 rupees,that of Beri Municipality was 8482 rupees! 😊😊😊Thus ,in the year 1881,Beri town was a bigger manufacturing and trading centre than Rohtak.👍👍👍
Another interesting aspect! Whereas average yield of wheat produce  in irrigated land in 1881 was around 5.40 quintals,currently that has gone upto 20 quintals. That is how we have been able to control food problem! Courtesy our toiling farmers,will of the government and  efforts of our agriscientists!
Comparing the prices of some of the items in the year  1881 ;one rupee fetched 21.5 seers wheat,26.5 seers Gram,about 2 seers   of cow ghee.
Kulbir Malik
Source; Rohtak District Gazeteer 1881-82.
Very good morning friends!🙏🙏🙏
( Picture given is of Maham ki Baoli,Known as Shahjahan ki Baoli and Choron ki Baoli as well!)

 पुस्तिका का संभावित मसौदा।

     *लर्निंग सेंटर परिप्रेक्ष्य।
      *लर्निंग सेंटर संचालन एक अनुभव।
      *लर्निंग सेंटर चुनौतियां : सांगठनिक और वैचारिक।
      *लर्निंग सेंटर और समाज सुधार का काम।
_______________________________________________
                    लर्निंग सेंटर परिप्रेक्ष्य
           हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति समाज में व्याप्त भेदभाव के खिलाफ एक वैकल्पिक विचार और व्यवस्था की परिकल्पना करती है । इन विकल्पों के निर्माण में भांति-भांति की गतिविधियां विभिन्न कार्य क्षेत्रों के माध्यम से आयोजित की जा रही हैं।  मूल उद्देश्य मनुष्य के गरिमामय जीवन की वापसी का विचार है । ऐसा विमर्श करते वक्त यह ध्यान रखा जाता है कि एक सहज प्रक्रिया और जन भागीदारी करते हुए मूल समस्याओं के स्रोतों का ज्ञान हासिल किया जाए।  इन जानकारियों और उपलब्ध संसाधनों और परिस्थितियों के हिसाब से कार्यों का चुनाव किया जाता है।
क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में साक्षरता अभियानों के माध्यम से ना केवल निरक्षरता और अंधकार के खिलाफ एक जन अभियान का ठोस अनुभव प्राप्त किया है, वरन् बहुत सारी सकारात्मक प्रक्रियाओं से भी अवगत हुए । अनेकों तरह की संभावनाओं से भी परिचय हुआ है । नई - नई जानकारियां हासिल हुई हैं। बहुत सारी चुनौतियां भी  दरपेश आई । ज्ञान विज्ञान आंदोलन का यह पुख्ता विचार है कि साक्षरता और शिक्षण कार्य सतत रूप से ताउम्र किए जाने वाले लक्ष्य हैं।  अंतिम व्यक्ति तक न्यूनतम ज्ञान के बाद अगली सीढ़ी चढ़ते जाना है। ऐसा नहीं है कि एक समय के अभियान से निरक्षरता खत्म हो गई या सार्वभौमिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है। बल्कि उदारीकरण, निजीकरण और व्यापारीकरण की नीतियों की वजह से 1991 के बाद हमारे देश -प्रदेश में आजादी के बाद के लक्ष्यों से ठीक उल्टी दिशा पकड़ ली है । अतः ज्ञान-विज्ञान आंदोलन ने यह महसूस किया है कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ - साथ  सार्वभौमिक शिक्षण लक्ष्य प्राप्ति तो दूर की बात हो गई है। अब तो शिक्षा के संस्थागत ढांचे को ही तहस - नहस करने का रास्ता सरकारों द्वारा अख्तियार कर लिया गया है। शिक्षा के मौलिक अधिकार  (R T E - 2009) के ठीक विपरीत क्रियान्वयन शुरू हो गया है। इसमें  युवा लड़कियों के लिए परिस्थितियां और भी कठिन हो गई हैं । लिंग भेद और सामाजिक सुरक्षा के कारणों से स्कूलों और कालेजों में दाखिला लेना वर्जित सा बना दिया गया है। बाजारीकरण की नीतियों की वजह से ग्रामीण परिवेश की बड़ी आबादी इसलिए स्वाध्याय से वंचित हो गई है कि घर में जगह उपलब्ध नहीं है और बाजार उसकी पहुंच से बाहर कर दिया गया है।
इस पृष्ठभूमि में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अक्षर ज्ञान जैसी न्यूनतम जरूरत को आज भी महसूस किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (8 सितंबर 2020) को यह आह्वान अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क ने किया कि हमें भिन्न तरीकों से अधूरे लक्ष्य की प्राप्ति हेतु काम करना चाहिए, जिसमें साक्षरता और शिक्षा (सभी तरह की शिक्षा ) क्षेत्र में दखल देना है। अभी क्योंकि हम हरियाणा (लर्निंग सैन्टर संचालन) में इसके शुरुआती दौर में ही हैं । सैद्धांतिक तौर पर समझ बनने के बाद विभिन्न जगहों पर थोड़ा-थोड़ा कार्य शुरू किया है । समझ यह है कि बदली हुई परिस्थितियों में साक्षरता क्लासों, पुस्तकालयों और जन वाचन केंद्रों ( जनचेतना केंद्रों )के बीच भी एक प्रक्रिया और भी जरूरी है , जिसमें नए सिरे से क्लास का स्वरूप, पुस्तकालय की भूमिका और जन चेतना केंद्र का संचालन समाहित है।
अब पुस्तकालय केवल उपलब्ध साहित्य का अध्ययन भर नहीं रह गया है ,बल्कि अलग-अलग स्तर पर आवश्यकताओं की  पूर्ति करने का केंद्र बने,  यह मांग उभर  कर आई है। स्कूली और उच्च शिक्षा के विषयों का स्वाध्याय केंद्र और प्रतियोगिताओं की तैयारी का केंद्र तो बने ही , इससेे कहीं बड़ा लक्ष्य मनुष्य में सामाजिकता पैदा करना है। सामाजिक कार्यकर्ताओं में संवेदनशीलता पैदा करने का प्राथमिक केन्द्र है। संवादहीनता के वातावरण में संवाद से समाधान की ओर बढ़ने का पहला कदम है। ‍
बहुत से और भी कारणों और प्रभावों से वंचना की परिस्थितियों से जूझने के लिए नई नई जरूरतों को पूरा करने के लिए लर्निंग सेंटरों का संचालन विकल्प पैदा करने की संभावना रखता है । विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की संभावनाएं भी खोल सकता है । ऊर्जावान युवा लड़के - लड़कियों के लिए अपना जीवन संवारने और सामाजिक भूमिका में रचनात्मक काम करने का अवसर मुहैया करवाने की क्षमता भी रखता है। नए औजारों और विचारों से लैस होकर विकेंद्रीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से अविश्वास और निष्क्रियता को तोड़ते हुए , आशा जनक माहौल निर्मित करते हुए , नवजागरण की प्रक्रियाओं को सघन और ठोस किए जा सकने की संभावना भी खोलता है।
हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के परिप्रेक्ष्य में युवा लड़के - लड़कियों की भूमिका को बहुत अच्छे से रेखांकित किया गया है । दोराहे पर खड़े युवा भारत को बाजारीकरण की नीतियों और विधियों से सेक्स ,हिंसा और नशाखोरी में धकेलते हुए हमारे देश और समाज को बर्बाद किया जा रहा है । इसका विकल्प तैयार करने में लर्निंग सेंटर आधारभूत शुरुआत और निर्माण की क्षमता रखता है ।
ऐतिहासिक तौर पर हमारे देश और दुनिया में भी विभिन्न नामों और प्रक्रियाओं से संचालित ऐसे केन्द्र ,भेदभाव मुक्त समाज व्यवस्था कायम करने में सक्षम हैं। पुस्तक, पुस्तकालय, पुस्तकालय संचालक (वॉलिंटियर )और संगठित समुदाय के  सहयोग से उपलब्ध विपुल साहित्य का सदुपयोग जनहित में किया जा सकेगा।
निष्कर्ष रूप में यह कहना ठीक ही रहेगा की सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए हम थोड़े और ठोस अनुभवों के आधार पर विस्तार की समझ बना रहे हैं।आज वैकल्पिक व्यवस्था ही समाज सुधार का आधारभूत विचार है।
लर्निंग सेंटर कंवारी, हिसार के कुछ अनुभव
गंभीर संकट जो समाज में है , वही स्थिति कमोबेश गांव कंवारी में भी है। आदमी को घोर निराश और पंगु बना दिया है। सामने बैठकर टुकुर-टुकुर देखने को मजबूर किया गया है। राजनीतिक, आर्थिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक गलबे के तंबू के नीचे, लीक से हटकर काम करना बेहद मुश्किल हो गया है। लेकिन सिक्के के दो पहलू भी होते हैं। प्राकृतिक रूप से भी यह सच बात है कि" रात का अंधेरा कब रोक पाया है सवेरा"  इस उम्मीद के साथ ठोस संज्ञान लेते हुए संगठन के साथियों ने 23 मार्च , 2021 को शहीद भगत सिंह की शहादत के दिवस पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया। युवाओं की पहचान - भगत सिंह की शिक्षा के बल पर वैचारिक मजबूती और संघर्ष (चहुमुखी वर्तमान संकट के आधार पर ) की सोच को प्रस्तुत किया गया। लगभग 8 माह की उठापटक के बाद लर्निंग सेंटर शुरू कर पाए । कोई ठोस परिकल्पना और अनुभव के अभाव में शुरू करना इसलिए जरूरी समझा गया कि जितना जानते हैं और समझते हैं, उसी के सहारे जनसाधारण के बीच संवाद करते हुए , हम पहल खुद समझें वो सारी परिघटनाएं नोट करें। साथ साथ दैनिक कार्य निरंतर रूप से करते चले जाएं। अपनी बात साझा करते रहें। दो तरह से कामों की शुरुआत की गई। प्रथम स्कूली शिक्षा में दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम में , जो कमजोरी आड़े आ रही थी, उसको दूर करने में मदद की जाए। दूसरा,  हमने स्कूली कक्षा में शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच संबंध को समझा।  यह पाया कि विद्यार्थी सहज नहीं है, इस औपचारिक शिक्षा ग्रहण की प्रक्रिया में।  इस पर फोकस तरीके से काम शुरू किया गया। प्रत्येक विद्यार्थी को आत्म अभिव्यक्ति हेतु मंच प्रदान किया गया। यह भाव पैदा किया कि प्रत्येक विद्यार्थी (लड़का और लड़की दोनों ) व ( गरीब व अमीर दोनों) बहुत कुछ सीख सकते हैं और बड़े से बड़ा काम कर सकते हैं।  यानी उन बाधाओं को दूर किया गया , जो उनके सीखने में आड़े आ रही थी। उदाहरण के तौर पर मनोवैज्ञानिक तौर पर कमजोर होने की हीन भावना को खत्म किया गया। इस प्रक्रिया और सेंटर संचालन में हम खुद संगठन के साथ ही बहुत कुछ सीख और जान रहे थे। नई-नई कल्पनाएं जन्म ले रही थी। कामों की श्रृंखला बन रही थी। स्थानीय संगठन के साथियों में रचनात्मकता और सहकारिता का भाव पनप रहा था। अभिभावकों को उम्मीद बंध रही थी कि कुछ हो सकता है। सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही थी। सहायता के रूप में कुछ जन समर्थन मिलने लगा था। किताबें,बोर्ड, दरी और कुर्सियां आदि सामग्री  मदद के रूप में  मिलनी शुरू हो गई। लर्निंग सेंटर संचालन में देखभाल का जिम्मा गांव के लोगों ने लेना शुरू किया । शौचालय का निर्माण इस सैंटर में उन्होंने खुद किया। औपचारिक स्कूली ढांचे से संवाद बढ़ने लगा । संगठन के साथियों ने स्कूल में जाकर अनेक गतिविधियां करना सुनिश्चित किया। ठोस रूप में कुछ विषयों की औपचारिक क्लास  भी लेनी शुरू कर दी। इस अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि जितना हमने सोचा था उससे कहीं ज्यादा की संभावनाएं मौजूद हैं। संगठन और समाज की कमजोरियों और खूबियों की पहचान की जा सकी है । उजले पक्ष को उभारा जा सकता है। हम अपने वैचारिक पक्ष को इस लर्निंग सेंटर के माध्यम से स्थापित कर सकते हैं । इसके अलावा भी संगठन निर्माण की प्रक्रियाओं को सहज भाव से आगे बढ़ाया जा सकता है। भेदभाव की दुनिया में दूरियां कम करने की ओर बढ़ चले हैं। इस विश्वास के सहारे नेतृत्व विकसित करने का ठोस अनुभव भी हमने हासिल किया है ।अब हम यह कह सकने  की स्थिति में है कि वैचारिक और सांगठनिक निर्माण की महत्वपूर्ण उत्पादन इकाई, लर्निंग सेंटर बन सकता है। वैकल्पिक स्थितियों को निर्मित किया सकता है। एक अनुभव यह भी आया है कि इस तरह की स्थापना के लिए व्यक्ति विशेष का प्रबंधन होना चाहिए । मिशनरी रूप में इस काम को करने के लिए उपलब्ध हो। स्थायित्व प्रदान करने के लिए इस तरह के साथी की पहचान और उसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी अनिवार्य हो गई है। अन्यथा यह सैंटर भेदभाव वाली व्यवस्था के प्रहारों को झेल नहीं पाएगा।
एक समय के बाद तो कुछ  साथी प्रशिक्षित भी हो जाएंगे तो वे इस अद्भुत कार्य को निरन्तर चला लेंगे,यह भी इसमें गुंजाइश है। एक अन्य काम यह भी किया गया है कि एक सूची सर्वेक्षण के माध्यम से प्राप्त की  गई है  , जिसमें शिक्षक वालंटियर्स और संचालन सहयोगी मिले हैं।
इस अनुभव को सरल और सहज कहानी के रूप में आत्मसात करने से पहले उन सभी चुनौतियों को भी रेखांकित करना आवश्यक है। हमारी अपनी समझ इस तरह के सेंटरों के बारे में स्पष्ट हो।  समाज की स्थिति को स्थानीय तौर पर सभी जगह अलग-अलग समझा जाए। यह प्रत्येक गांव में भी भिन्न होगी।
हम प्राथमिक कामों में इसे प्रथम स्थान पर रखें। सामाजिक स्तर पर विरोधाभासों को समझें। नवनिर्माण पर केंद्रित होकर आगे बढ़े। इस प्रक्रिया को सहज और सरल तरीकों से निरंतर बनाए रख सके तो उम्मीद करते हैं कि बहुत कुछ बदलने के क्षमताएं भी पैदा होंगी। नई चेतना और नई दुनिया संभव है।
आओ इसे साकार करें !

Education teachers

 केरल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गोवा, मेघालय, नागालैंड, और लक्षद्वीप में तो पुरुषों की तुलना में महिला टीचर ज्यादा हैं ।

पंजाब के 50478 टीचर्स में से 30268 महिलाएं हैं
हरियाणा के 39256 टीचर्स में से 20779 महिलाएं हैं
केरल के 61080 टीचर्स में से 37980 महिलाएं हैं
दैनिक भास्कर 31 जनवरी, 2023

यूनिवर्सिटी स्तर पर 38% और कॉलेज लेवल पर 44% तक महिला टीचर मोर्चा संभाल रही हैं
देश में कुल 1113 यूनिवर्सिटी हैं
देश में कुल 43796 कालेज हैं
2020--21 में 70 यूनिवर्सिटी और 1453 कॉलेज बढ़े ।
राजस्थान में 92 यूनिवर्सिटी हैं
यूपी में 84 यूनिवर्सिटी हैं
गुजरात में 83 यूनिवर्सिटी हैं
हरियाणा में 56 यूनिवर्सिटी हैं 

मोदी

 अन्तर्घाती मोदी सरकार की नियति

आर एस एस और मोदी ने भारत को अंदर से खोखला करने के अपने अन्तर्घातमूलक अभियान का प्रारम्भ सत्ता पर आने के साल भर के अंदर ही 2015 के उस रफाल विमानों के सौदे से शुरू किया था जिसमें 126 विमानों के पहले के सौदे को विकृत करके उसे दुगने दाम पर सिर्फ 36 विमानों के सौदे में बदल दिया गया और साथ ही भारत में ही उनके उत्पादन की संभावनाओं को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।
        इसके साल भर के अंदर ही 2016 में पहले बैंकरप्सी ऐंड इंसॉल्वेंसी ऐक्ट से बैंकों की खुली लूट का रास्ता खोला गया और फिर उसी साल के अंतिम महीनों में नोटबंदी के जरिए हर घर को लूटने का कदम उठाया। उसके साल भर के अंदर ही 2017 में जीएसटी के जरिए छोटे और मझोले व्यापारियों के जीवन को दूरस्थ किया गया तथा इसके साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में विदेशी पूंजी के अबाध प्रवेश के रास्ते खोलकर पूरी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया गया। पड़ोसी देशों से संबंध बिगाड़ कर भारतीय वाणिज्य के विकास की एक बड़ी संभावना को नष्ट किया गया और भारत को साम्राज्यवादियों के हथियारों की खपत का एक बड़ा क्षेत्र बना दिया।
      जाहिर है कि यह सब साम्राज्यवादियों और उनके दलाल पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए किया जाता रहा । पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा भड़का कर और जनता के जनवादी अधिकारों को छीन कर भी उनके हित ही साधे जाते रहे।
     इसमें एकमात्र कृषि क्षेत्र और भारत का असंगठित क्षेत्र देश की सार्वभौमिकता और जनता के जीने के सहारे के तौर पर बचे हुए थे। कोरोना के दुर्भाग्यजनक काल में मोदी ने सूचिंतित ढंग से अपने लॉकडाउन के अविवेकपूर्ण कदम और 3 कृषि कानूनों से इन पर बड़ा प्राणघाती हमला कर दिया। इसके बाद, अब पूरे राष्ट्र के सामने इस सरकार के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध में गर्जना करते हुए उतर पड़ने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं बचा है।
रणबीर