Sunday, July 27, 2014

मुन्शी चन्द जयंती के मौके पर

मुन्शी  चन्द जयंती के मौके पर 
मुंशी प्रेमचंद ने लगभग 300 कहानियां और 14 उपन्यास लिखे । जन्म 31 जुलाई 1880  को हुआ । 8  अक्टूबर 1936 को चल बसे । एक रागनी के माध्यम से :
बनारस तैं  चार मील की दूरी यो लमही गाम सुण्या होगा ॥ 
इसे गाम का रहने आला था प्रेम चन्द नाम सुण्या होगा ॥ 
असली  नाम धनपत राय यो उनका गया बताया भाई 
तांगा तुलसी मैं दिन काटे खस्ता हाल गया जताया भाई 
 लाल गंज गाम मैं पढ़ने खातर इनको गया खंदाया भाई 
इसे हालात मैं पलकै नै यो कलम गया था पिनाया भाई 
अल्हड बालकपन बीत्या खेल कै  सुबो शाम सुण्या होगा॥ 
इसे गाम का रहने आला----------------------------------॥ 
बालकपन मैं माता जी बहोत घणी  बीमार होगी भाई
दिनों दिन बढ़ी बीमारी खान पीन तैं लाचार होगी भाई 
घर मैं घने हाथ भींचरे थे  मुश्किल उपचार होगी भाई 
चल बसी माता सोचै बैठ्या जिंदगी बेकार होगी भाई 
सात साल की उम्र याणी माता का इंतकाम सुण्या होगा ॥
 इसे गाम का रहने आला-----------------------------------॥ 
माँ का जगह बहन बड़ी नै घर मैं ली बताई भाईयो 
शादी हुए पाछै बेबे बी सासरै गयी खन्दाई भाईयो
दुनिया सूनी लागी जिंदगी मुश्किल बितायी भाईयो 
अपने पात्रों मैं भी कथा कई बरियां दिखाई भाईयो
उनकी कहानियों मैं यो किस्सा हमनै तमाम सुण्या होगा ॥ 
 इसे गाम का रहने आला----------------------------------॥ 
चुनार गाम मैं मास्टरी की मुश्किल तैं नौकरी थ्याई रै 
बालकपन मैं ब्याह होग्या इब माड़ी उल्गी साँस आई रै 
इंटर पास करी फेर पूरी  बी ए तक की करी पढ़ाई रै
जगह जगह घणे तबादले जान जीवन सहमी आई रै 
रणबीर लिखे कहनी उपन्यास उन्मैं पैगाम सुण्या होगा ॥ 
 इसे गाम का रहने आला---------------------------------॥