Saturday, May 30, 2020

क्या भारतीय राज्य हिन्दुओं के सैन्यीकरण की ख़तरनाक हिन्दुत्ववादी योजना का मार्ग प्रशस्त कर रहा है ?

क्या भारतीय राज्य हिन्दुओं के सैन्यीकरण की ख़तरनाक हिन्दुत्ववादी योजना
का मार्ग प्रशस्त कर रहा है ?
वर्तमान समय में, भारतीय  सुरक्षा बलों को संयुक्र् राज्य अमेररका, रूस और चीन के बाद  दुनिया  की चौथी सबसे शक्तिशाली  सेना के रूप में स्थान हासिल  है, जिसमें  जापान  पााँचवें स्थान पर है। इसमें लगभग 3,544,000  फौजी  हैं, जिनमें रिजर्व  कर्मियों  के रूप में काम करनेवाले 2,100,000 के साथ
1,444,000 सक्रिय ड्यूटी पर हैं।1
        इसे बांग्लादेश युद्ध 1971, कारगिल  युद्ध 1999, पाकिस्तान  के क़ब्ज़े वाले कश्मीर 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक जैसे  असंख्य सैन्य अभियानों का श्रेय दिया  जाता  है। भारतीय  सेना ने  तमिल  विद्रोहियों  लिट्टे  (1987-90) को दबाने में श्रीलंका के राज्य की प्रत्यक्ष रूप से मदद की; और दुनिया  के 43 से अधिक विभिन्न  हिस्सों  में संयुक्र् राष्ट्र शांनर्- सेना के सैन्य असभयानों में अभूर्पूवत योगदान ददया। भारर्ीय सेना की वेबसाइट के अनुसार “भारर् संयुक्र् राष्ट् र को योगदान देनेवाली र्ीसरी सबसे बडी सैन्य
शक्क् र् है।”2 भारर् ने अब र्क 2, 00,000 भारर्ीय सैननकों को इन असभयनों में भेिा है।3
भारतीय सेना ने एक सुरक्षित दूरी बनाए रखी है
हालााँक्रक, यह बहुर् दुखद है क्रक िब भारर् एक ववनाश से गुज़र रहा है, क्िसकी र्ुलना केवल 1947 के ववभािन से की िा सकर्ी है; दुननया की चौथी सबसे र्ाक़र्वर सेना ने िो ‘मदद’ की है उसको ददखावा भी नहीं कहा िा सकर्ा। लगभग वपछले दो महीनों के अचानक लॉकडाउन ने ननर्ातयक रूप से साबबर्
कर ददया है क्रक भारर्ीय राज्य ने पूरी र्रह से मज़दूर वगत और ग़रीब भारर्ीयों को धोखा ददया है। नौकरी, भोिन, आश्रय, पररवहन और स्वास््य संबंधी देखभाल के अभाव में उनमें से बीससयों लाखों को भयानक समय और त्रासददयों को भुगर्ना पडा और अब भी भुगत रहे हैं ।
           हृदय ववदारक कहाननयााँ िो देश के लगभग सभी भागों से आ रही हैं, उनको शब्दों में बयान नहीं क्रकया िा सकर्ा। इस देश के लाचार मज़दूर क्िस र्रह से भूख, पुसलस की बबतरर्ा का सशकार होकर दर-दर मारे क्रिर रहे हैं, मारे िा रहे हैं, और सडकों और रेल की पटररयों पर कुचले िा रहे हैं, उन्हें देश का मीडडया और नेर्ा ‘प्रवासी’ मज़दूर बर्ा रहे हैं, मानो वे ववदेशों से आए हों । यह एक र्रह का नस्लवाद है । वे भारर्ीय श्रसमक िो काम करने के सलए देश के ववसभन्न भागों में िार्े हैं, उन्हें ‘प्रवासी’ श्रसमक बताया िा रहा है। इस शब्द का उपयोग उन लोगों के सलए नहीं क्रकया िार्ा है िो सफेद-पोश नौकररयााँ करर्े हैं या रािनेर्ाओं में शासमल होर्े हैं ।
भारर्ीय सशस्त्र बलों के र्ीन ववंग; थल सेना, वायु सेना और नौसेना के पास बेहर्रीन नवीर्म गचक्रकत्सा, पररवहन और संचार साधन हैं क्िनपर र्ाला पडा है। यह आश् चयतिनक बार् है क्रक इन सभी राष्ट् रीय सुववधाओं को उग्र कोववड -19 महामारी की सामना करने के सलए लॉकडाउन में रखा गया है िब भारर् को डॉक्टरों, अस्पर्ालों, वाहनों, हवाई िहाज़ और उच्च गुर्वत्ता वाली पेशेवर संचार सुववधाओं की सख़्र् ज़रूरर् थी, और है। भारर् के सभी प्रमुख शहरों में अत्याधुननक सैन्य अस्पर्ाल हैं, िो अगर कोववड -19 के रोगगयों के सलए खोले िार्े, र्ो इससे नागररक स्वास््य सेवाओं पर असहनीय दबाव कम हो िार्ा। यदद अनर् प्रभाववर् क्षेत्रों में कम संख्या में ही सैन्य डॉक्टरों और नससिंग स्टाफ की प्रनर्ननयुक्क् र् की िार्ी, र्ो कष्ट् टों और मौर्ों को कम क्रकया िा सकर्ा था।
लॉक-डाउन ने ददखा ददया क्रक 'प्रवासी' श्रसमक क्रकस र्रह से पीडडर् हैं और अपने मूल स्थानों र्क पहुंचने की कोसशश करर्े हुए उन्हें क्रकर्नी कदिनाइयों का सामना करना पड रहा है; िबक्रक सडक, रेल सेवाएाँ उनकी मदद करने में लगभग असमथत हैं। संभव है भारर्ीय सेना के पास िो शक्क् र्शाली पररवहन
क्षमर्ा उपलब्ध है, और उसका इस्र्ेमाल क्रकया गया होर्ा र्ो इस क्स्थनर् में थोडी-बहुर् सहायर्ा हो सकर्ी थी। इसी र्रह, अंर्ररक्ष में सशस्त्र बलों और अपने उपग्रहों की एक केंद्रीकृर् और अत्याधुननक ननगरानी प्रर्ाली के बाविूद (क्िसका उपयोग करके भारर् पाक्रकस्र्ान में आर्ंकवादी केंद्रों की पहचान करने में सक्षम था और क्िसकी र्बाही को 'सक्ितकल स्राइक' के रूप मनाया था) करोडों र्बाह हाल लोगों की भीड, क्िनमें गभतवर्ी मदहलाएाँ, बच्चे, बूढे और ववकलांग व्यक्क् र् हैं, सडकों और रेल की पटररयों पर चल रही है (इनमें से कई लोग इन िोखखम भरी यात्राओं को करर्े हुए मारे गए) उनकी पहचान की गई होर्ी और उन्हें सेना के वाहनों या हवाई िहाज़ों में ले िाया गया होर्ा।
भारर्ीय सेनाओं ने इर्नी क्ज़म्मेदीरी ज़रूर ननभायी क्रक उन्होंने क्िन अस्पर्ालों में कोववड-19 के मरीज़ थे पर हेसलकाप्टरों से िूलों की पंखुडडयों की बौछार की, अस्पर्ालों के बाहर मौिूद थल सेना, नौसेना, वायुसेना के बैंडों ने सावतिननक रूप से धुनें बिायीं। यह सब गचक्रकत्सा वगत की इन चेर्ावननयों के बाविूद क्रकया गया क्रक िूलों की यह बौछार वायरस िैलने का एक गंभीर कारर् हो सकर्ी है और क़ानूनी रूप से अस्पर्ाल ‘शोर रदहर्’ क्षेत्रों में आर्े हैं। यह ज़ादहरी र्ौर पर कोववड -19 के ख़िलाफ 'योद्धाओं' का सम्मान करने के एक ‘महान’ उद्देश्य के साथ क्रकया गया था। अस्ल में र्ो भारर्ीय सेना के हस्र्क्षेप का मर्लब यह होना चादहए क्रक कम से कम रेड ज़ोन में गचक्रकत्सा और पैरा-मेडडकल कमतचाररयों की एक छोटी संख्या को ही ननयुक् र् क्रकया िाए। वास्र्व में, महामारी से लडने के सलए अफ़्रीकी देशों के सशस्त्र बलों सदहर् दुननया के कई देशों को र्ैनार् क्रकया गया है, क्िन्होंने इस लडाई में ज़बरदस्र् सक्रिय भूसमका ननभायी और ननभा रहे हैं।4
भारतीय सेना ने कोविड-19 महामारी के दौरान 3 िर्षीय सैन्य प्रशशिण की योजना सािगजननक की
4 https://www.iiss.org/blogs/analysis/2020/04/easia-armed-forces-and-covid-19
यह आश् चयतिनक है क्रक कोववड -19 के समय में अलग-थलग रहे भारर्ीय सशस्त्र बल भारर्ीयों को 3 साल की स्वैक्च्छक ‘ड्यूटी के दौरे’ के सलए ननयोक्िर् करने की योिना के साथ सामने आये।5 भारर्ीय सेना की एक ववज्ञक्प्र् के अनुसार,
“यह प्रस्र्ाव इंटनतसशप या र्ीन साल के अस्थायी अनुभव के रूप में, सशस्त्र बलों में स्थायी सेवा/नौकरी की अवधारर्ा में एक बदलाव है। यह उन युवाओं के सलए है, िो “रक्षा सेवाओं को अपना स्थायी व्यवसाय नहीं बनाना चाहर्े हैं, लेक्रकन क्रिर भी सैन्य कौशल के रोमांच का अनुभव करना चाहर्े हैं”।
इस नवोन्मेषी योिना के पीछे के औगचत्य को समझार्े हुए ववज्ञक्प्र् में सलखा गया क्रक यह भारर्ीय युवाओं के दरसमयान िो ‘राष्ट्रवाद और देशभक्क्र् का उिान आया है’ और भारर् के नविवान बेरोज़गारी झेल रहे हैं, उसके मद्देनज़र क्रकया गया है। इस प्रस्र्ाव में यह भी कहा गया है क्रक इन र्ीन वषों की कमाई को कर-मुक् र् बनाया िा सकर्ा है और वे सभी िो 'ड्यूटी के दौरे' (tour of duty) का दहस्सा होंगे, उन्हें सावतिननक क्षेत्र की नौकररयों के साथ-साथ स्नार्कोत्तर पाठ्यिमों में भी वरीयर्ा दी िा सकर्ी है।
इस र्रह सरकारी नौकररयों और सशक्षर् संस्थाओं में एक नयी आरक्षर् व्यवस्था की नींव डाली िा रही है क्िनपर न र्ो संबंगधर् मंत्रालयों और न ही संसद ने चचात की है। नोट में इस र््य पर भी ज़ोर ददया गया क्रक यह युवा वगग की ऊिात को उनके सकारात्मक उपयोग में लाने में मदद करेगा। और यह “किोर सैन्य प्रसशक्षर् और अभ्यास स्वस्थ नागररकर्ा पैदा करने में सहायक ससद्ध होगा”।6
यह उद् घोषर्ा एक नयी नीनर् प्रस्र्ाववर् करर्ी है, क्िसपर लोकसभा या रक्षा ववभाग स्र्र के मंत्रालय में न कभी चचात हुई न उसके बारे में सुना गय। इस
5 https://indianexpress.com/article/india/army-proposes-3-year-voluntary-tour-of-duty-cites-patriotism-unemployment-6408863/]
6 https://theprint.in/defence/indian-army-now-worlds-largest-ground-force-as-china-halves-strength-on-modernisation-push/382287/
घोषर्ा का एक और आश् चयतचक्रकर् करनेवाला पहलू यह है क्रक देश के रक्षा मंत्री रािनाथ ससंह या भारर् के मुख्य सेनापनर् िनरल बबवपन रावर् द्वारा भारर्ीय सेना में भर्ी के नए र्रीक़े और कायतकाल के बारे में सावतिननक घोषर्ा नहीं की गयी, बक्कक सेना के एक प्रेस-नोट के माध्यम से बर्ाया गया। सेना के प्रवक् र्ा कनतल अमन आनंद ने पुक्ष्ट् ट की क्रक इस र्रह के प्रस्र्ाव पर चचात की िा रही है। ववपक्षी रािनैनर्क दलों और मीडडया ने इस प्रस्र्ाव पर प्रनर्क्रिया देने का कष्ट् ट नहीं क्रकया िो क्रक लोकर्ांबत्रक-धमतननरपेक्ष भारर् के भववष्ट्य के सलए एक ननर्ातयक क्षर् साबबर् हो सकर्ा है।
कोववड -19 के दौरान उपयुतक् र् नोट ने कई महत्वपूर्त सवाल उिाए हैं, क्िनके उत्तर लोकर्ांबत्रक-धमतननरपेक्ष भारर्ीय रािनीनर् के भववष्ट्य को ननधातररर् करने के सलए ढूाँढने होंगे। ज़ोरदार दावा क्रकया गया क्रक 3-वषत की स्वैक्च्छक ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ से बेरोज़गारी को कम करने में मदद समलेगी। यह दावा यह धारर्ा देर्ा है क्रक करोडों बेरोज़गार भारर्ीय युवाओं में से कुछ लाख इस योिना के र्हर् अवशोवषर् होने िा रहे हैं। भारर्ीय सेना बेरोज़गारी को कम करने में क्रकस र्रह से मदद कर रही है, यह इस र््य से िाना िा सकर्ा है क्रक यह 1.5 लाख नौकररयों में कटौर्ी करके बल की र्ाक़र् को कम करने की योिना बना रही है। कुछ वगों में कटौर्ी 20% र्क होने वाली है।7
राष्‍ट रिाद, देशभक् त तथा स्िस्थ नार्ररकता का 3 िर्षीय सैन्य प्रशशिण
सेना के नोट ने इस योिना का औगचत्य बर्ार्े हुए कहा क्रक यह “राष्ट् रवाद और देशभक्क् र् के पुनरुत्थान” के प्रत्युत्तर में है और “किोर सैन्य प्रसशक्षर् एवं आदर्ों से स्वस्थ नागररकर्ा का कारर् बनेगा”। इस र्रह राष्ट् रवाद, देशभक्क् र् और स्वस्थ नागररकर्ा सैन्य प्रसशक्षर् के समर्ुकय िहरी। इस र्रह के नारे आमर्ौर पर द्ववर्ीय ववश्व युद्ध के दौरान सुने गये और वर्तमान में उत्तर कोररया और यहूदी इसराईल िैसे अगधनायकवादी राज्यों में सुने िार्े हैं।
हहन्दू राष्‍ट रिाद के कणगधारों ने हहन्दुत्ि के सैन्यीकरण की योजना हहटलर और मुसोशलनी से ली है
7 https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/army-wants-more-on-field-plans-to-reduce-headquarters-strength/articleshow/66701327.cms?from=mdr
वास्र्ववकर्ा यह है क्रक ‘दहन्दू समाि के सैन्यीकरर्’ की योिना दहन्दू राष्ट्रवाददयों के बुज़ुगों के एक पुराने प्रोिेक्ट का दहस्सा रही है जिस का वे ववश्व में नाज़ीवाद और फ़ासीवाद के आगमन के साथ ज़ोर शोर से प्रचार करते रहे हैं। भारर्ीय रािनीनर् की िानी-मानी इर्ालवी शोधकर्ात, मरजज़या कासोलारी ने एक ओर हहिंदू महासभा और आरएसएस के सिंस्थापकों के बीच भ्रातृ सिंबिंधों का पता लगाने में और दूसरी ओर ककस तरह इन हहन्दू राष्ट्रवादी सिंगठनों ने फ़ासीवाद और नाज़ीवाद के यहूहदयों और कम्युननस्टों का सफाया करने के ललए िो समाि के सैन्यीकरण की योिना बनाई थी उस के अनुसरण करने की योिना का खुलासा करने में अग्रणी भूलमका ननभायी है । प्रमुख दहंदू राष्ट्रवाददयों के प्राथसमक स्रोर्ों पर आधाररत दस्र्ावेज़ों के उनके अग्रर्ी कायत के अनुसार, फ़ासीवाद और नाज़ीवाद के जिस पहलू ने उनको सब से ज़्यादा प्रभाववत ककया वह था समाि का सैन्यीकरण। राष्ट्रीय स्वयिंसेवक सिंघ के सिंस्थापक केशव बललराम हेडगेवार के गुरुओिं में से एक, बालकृष्ट्ण लशवराम मुिंिे ने, िो कक हहन्दू राष्ट्रवादी ख़ेमे में ‘धमगवीर’ के नाम से िाने िाते थे ने, लिंदन राउिंड टेबल सम्मेलन (फ़रवरी-माचग 1931) से लौटते हुए फ़ासीवादी इटली का दौरा ककया, जिस का ननमिंत्रण उन्हें मुसोललनी से लमला था । वहािं उन्होंने कुछ महत्वपूणग फ़ासीवादी सैन्य स्कूलों (लमललरी कॉलेि, सेंरल लमललरी स्कूल ऑफ़ कफ़जज़कल एिुकेशन, फ़ालसस्ट अकेडमी ऑफ़ कफ़जज़कल एिुकेशन; बासलला) का दौरा ककया, इस यात्रा का मुख्य कारण मुसोललनी के साथ मुलाकात थी। मुंिे ने मुसोसलनी की सैन्यीकरर् पररयोिना की प्रशंसा की और भारर् में इसे लागू करने की योिना बनाई।
उन्हों सलखा:
“भारर् और ववशेष रूप से दहंदू भारर् को दहंदुओं के सैन्य उत्थान के सलए ऐसी कुछ सिंस्थाओिं की आवश्यकर्ा है, र्ाक्रक अंग्रेज़ों द्वारा दहंदुओं के बीच लड़ाकू और ग़ैर-लड़ाकू (martial और non-martial) क्िस कृबत्रम अंर्र पर ज़ोर ददया गया, वह समाप्र् हो सके ... हेडगेवार के अधीन नागपुर का हमारा राष्ट् रीय स्वयंसेवक संघ इसी प्रकार का संगिन है, हालांक्रक यह कािी स्वर्ंत्र पररककपना है। मैं अपना पूरा िीवन महाराष्ट्र
और अन्य प्रांर्ों में हेडगेवार के इस संस्थान के ववकास और ववस्र्ार में बबर्ाऊंगा। "8
िैसे ही वे पुर्े पहुंचे, उन्होंने ‘द महाराष्ट्र’ अख़बार को एक इंटरव्यू ददया। दहंदू समुदाय के सैन्य पुनगतिन के बारे में, उन्होंने सेना के ‘भारर्ीयकरर्’ करने की आवश्यकर्ा पर बल ददया और उम्मीद िर्ाई क्रक सेना (अँगरेज़) में िबरन भती अननवाये हो िाएगी और एक भारर्ीय को रक्षा मंत्रालय का प्रभारी बनाया िाएगा। उन्होंने अपनी डायरी में इर्ालवी और िमतन (सैन्यीकरण के) उदाहरर्ों का स्पष्ट् ट उकलेख क्रकया:
“वास्तव में, नेताओिं को िमगनी के युवा आिंदोलनों और इटली के बाललला और फ़ासीवादी सिंगठनों की नकल करनी चाहहए। मुझे लगता है कक वे भारत के ललए अत्यिंत रूप से अनुकूल हैं, उन्हें भारत की ववशेष पररजस्थनतयों के अनुरूप अपना लेना चाहहए । मैं इन आिंदोलनों से बहुत प्रभाववत हुआ हूिं और मैंने उनकी गनतववधधयों को अिंत्यिंत ववस्तार से अपनी आँखों से देखा है। ”31 माचत, 1934 को मुंिे की डायरी के अनुसार, उन्होंने हेडगेवार और लालू गोखले के साथ एक बैठक की जिसका ववषय कफर इतालवी और िमगनी की तरह फ़ासीवादी और नािीवादी तज़ग पर हहिंदुओिं का सैन्य सिंगठन खड़ा करना था । मुिंिे ने बैठक में कहा
“मैंने दहंदू धमतशास्त्र पर आधाररर् एक योिना र्ैयार की है, िो पूरे भारर् में दहंदू धमत के मानकीकरर् का प्रावधान करर्ी है...लेक्रकन बार् यह है क्रक इस आदशत को र्ब र्क लागू नहीं क्रकया िा सकर्ा िब र्क क्रक हमारे पास वर्तमान के मुसोसलनी या दहटलर या प्राचीन काल के सशवािी की र्रह का दहन्दू र्ानाशाह मौिूद न हो...लेक्रकन इसका मर्लब यह नहीं है क्रक िब र्क भारर् में ऐसा र्ानाशाह उभरकर सामने न आए हम हाथ पर हाथ रखकर बैिे रहें। हमें एक वैज्ञाननक योिना (सैन्यीकरण के ललए) र्ैयार करनी चादहए और उसे आगे बढाने के सलए प्रचार करना चादहए... ”
8 Casolari, Marzia, ‘Hindutva’s Foreign Tie-up in the 1930’s: Archival Evidence’, The Economic and Political Weekly, January 22, 2000, pp. 218-228. All other quotes on Moonje are from this article.
मरक्ज़या के अनुसार, मुंिे ने सावतिननक रूप से स्वीकार क्रकया क्रक दहंदू समाि को सैन्य रूप से पुनगतदिर् करने का उनका ववचार “इंग्लैंड, फ़्रांस, िमतनी और इटली के सैन्य प्रसशक्षर् स्कूलों” से प्रेररर् था। मुंिे की ‘सेंरल दहन्दू समसलरी र्था उसके समसलरी स्कूल की योिना की प्रस्र्ावना’, क्िसे उन्होंने प्रभावशाली हहन्दू राष्ट्रवादी और अँगरेज़ हक्स्र्यों के बीच प्रसाररर् क्रकया, साफ़ तौर पर बताती है:
“इस प्रलशक्षण का मतलब हमारे लड़कों को ऐसी लशक्षा देना और काबबल बनाना है की वे वविय प्राप्त करने की महात्वाकािंक्षा के साथ, दुश्मनों को ज़्यादा से ज़्यादा घायल होने तथा हताहत होने की सिंभाववत क्षनत के साथ, सामूहहक िनसिंहार के खेल के ललए योग्य बनें और ववरोधधयों को जितना ज़्यादा नुकसान हो कर सकें।"
यहााँ यह नहीं भूलना चादहए क्रक मुंिे की दृक्ष्ट्ट में 'ववरोधी' का मर्लब बाहरी दुश्मन, अँगरेज़ नहीिं थे, बक्कक 'ऐनर्हाससक' आंर्ररक दुश्मन, मुसलमान था। वास्र्व में, इस स्कूल का उद् घाटन बॉम्बे राज्य के र्त्कालीन गवनतर सर रोिर लुमली ने क्रकया था। इसके अलावा, इस स्कूल ने द्ववर्ीय ववश् व युद्ध के सलए दहंदू युवाओं की आपूनर्त करने में अँगरेज़ सेना की मदद की। इस सैन्य स्कूल को अंग्रेज़ों की दो पुराने दलाल रािघरानों, भोंसले और लसिंधधया द्वारा ववत्तपोवषर् क्रकया गया था। मुिंिे ने 'हहिंदू समाि का सैन्यीकरण' के नारे को हहन्दू राष्ट्रवाहदयों का मुख्य आह्वान बनाने में एहम भूलमका ननभायी।
सािरकर का योर्दान
आरएसएस के 'वीर' ववनायक दामोदर सावरकर बिदटश सेना में दहंदुओं के सलए 100 से अगधक भर्ी सशववर आयोक्िर् करने की हद र्क गए, िबक्रक नेर्ािी सुभाष चंद्र बोस भारर् को ववदेशों की सैननक मदद से मुक् र् करने की कोसशश कर रहे थे। यह भारर् के दहंदुओं का सैन्यीकरर् करने की सावरकर की रर्नीनर् का दहस्सा था। सावरकर ने दहंदुओं का आह्वान क्रकया क्रक “वे [बिदटश] सेना, नौसेना और हवाई सेनाओं में दहन्दू संघटनवादी मानससकर्ा से ओर्प्रोर् लाखों दहंदू योद्धाओं को भर दें,” और उन्हें आश्वासन ददया क्रक यदद दहंदू बिदटश सशस्त्र- बलों में भर्ी होर्े हैं, र्ो-
“हमारा दहंदू राष्ट्र युद्ध के बाद के मुद्दों का सामना करने के सलए अगधक शक्क् र्शाली, संगदिर् और अगधक लाभप्रद क्स्थनर् में होगा। - चाहे वह आंर्ररक दहंदू ववरोधी नागररक युद्ध हो या संवैधाननक संकट या सशस्त्र िांनर्।”9
मुसलमानों और ईसाइयों का सफाया करने की आरएसएस की योजना
आरएसएस अपनी स्थापना (1925) के समय से ही एक मुख्य एिेंडे के सलए काम कर रहा है; और वह है भारर् से मुसलमानों और ईसाइयों का सफाया। आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार ने कांग्रेस छोड़ी थी, क्योंक्रक कांग्रेस के नेर्ृत्व में स्वर्ंत्रर्ा संघषत साझे राष्ट्रवाद के ललए देश की आज़ादी चाहता था, क्िसमें मुसलमान राष्ट्र का दहस्सा होंगे। हेडगेवार के उत्तरागधकारी, माधव सदासशव गोलवलकर ने अपनी पुस्र्क, ‘वी ऑर अवर नेशनहुड डडफाइंड’ (1939) में दहटलर द्वारा यहूददयों के सफाए की प्रशंसा करर्े हुए स्पष्ट् ट रूप से कहा क्रक आरएसएस इसका अनुकरर् करना चाहेगा।
“िमतनों का नस्ली गवत अब ददनचयात का ववषय बन गया है। नस्ल और उसकी संस्कृनर् की शुद्धर्ा बनाए रखने के सलए, िमतनी ने सामी नस्ल के यहूददयों के देश का सफाया करके दुननया को चौंका ददया। यहााँ नस्ली गवत अपने उच्चर्म स्र्र पर प्रकट हुआ। िमतनी ने यह भी ददखाया है क्रक ज़बरदस्र् मूलभूर् ववभेद रखनेवाली नस्लों और संस्कृनर्यों को एकिुट करना पूरी र्रह असंभव है, इसमें हमारे दहन्दुस्थान के सलए एक सबक़ है क्िससे लाभ उिाना चादहए। ”10
स्वर्ंत्र भारर् के िन्म के बाद भी मुसलमानों और ईसाइयों के प्रनर् घृर्ा में कोई कमी नहीं आयी। नफरर् के गुरु गोलवलकर ने, भारर् के 'आंर्ररक ़िर्रे' नामक एक अध्याय सलखा। आरएसएस के ववचारक एम.एस. गोलवलकर के लेखन के संकलन ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में एक लंबा अध्याय है, क्िसका शीषतक है, 'आंर्ररक ़िर्रे' क्िसमें मुसलमानों और ईसाइयों को िमशः नंबर एक और नंबर दो का ़िर्रा बर्ाया गया है। कम्युननस्टों को 'आंर्ररक ़िर्रा' नंबर र्ीन होने का ‘सम्मान’ समला।11
9 Cited in Savarkar, V. D., Samagra Savarkar Wangmaya: Hindu Rashtra Darshan, vol. 6, Maharashtra Prantik Hindusabha, Poona, 1963, pp. 461.
10 MS Golwalkar, We Or Our Nationhood Defined, Bharat Publications, Nagpur, 1939, p. 35.
11 Golwalkar, MS, Bunch of Thoughts, Saitya Sindhu Prakashana, 1966, Bangalore, pp. 177-95.
2014 में मोदी के सत्ता में आने के साथ ही दहंदुत्व का रथ बेलगाम दौड़ने लगा और आरएसएस के नेर्ाओं ने बेशमी से घोषर्ा की क्रक 2021 र्क भारर् में मुसलमानों और ईसाइयों का सफाया हो िाएगा।12 ‘लव-क्िहाद’, ‘घर-वापसी’ और गाय के नाम पर एक आिामक असभयान शुरू हुआ, क्िसमें मुसलमानों, दललतों और ईसाइयों की सलंगचंग की गयी। मोदी के शासन के एक साल से भी कम समय में दहंदुत्व के इस उन्माद से परेशान होकर, रोमाननया के पूवत रािदूर् और पद्मभूषर् से सम्माननर् भारर् के सबसे सुशोसभर् पुसलसकसमतयों में से एक, िूसलयो ररबेरो ने 17 माचत, 2015 को सलखाः
“आि, 86 वषग की आयु में, मुझे ख़तरा महसूस होता है, अनचाहे ही मैं अपने ही देश में एक अिनबी से भी कम हो गया...मैं अब एक भारतीय नहीिं हूिं, कम से कम हहिंदू राष्ट्र के समथगकों की नज़र में। यह मात्र सिंयोग है या सोची समझी योिना कक नरेंद्र मोदी की बीिेपी सरकार के मई (2014) में सत्ता में आने के बाद ही एक छोटे-से और शािंनतपूणग समुदाय को ननशाना बनाना शुरू हो िाता है? यह दुखद है कक यह चरमपिंथी [हहिंदुत्व उन्मादी] हद से बढ़े घृणा और अववश्वास के माहौल में स्वीकायग पररधध से बाहर सीना ज़ोरी पर उतर आए हैं । कुल आबादी का मात्र 2 प्रनतशत ईसाई आबादी पर सोचे-समझे सीधे हमलों की छड़ी लग गयी है। अगर ये चरमपिंथी बाद में मुसलमानों को ननशाना बनाते हैं िो कक उनका लक्ष्य प्रतीत होता है, तो वे ऐसे पररणामों को आमिंबत्रत करेंगे जिनके बारे में सोच कर ही यह लेखक डर िाता है ।13
क्या आरएसएस को पता था कक सेना में 3 साल की भती की योजना शरू िोने वाली िै?
12 We will free India of Muslims and Christians by 2021' Mail Today, Delhi, December 19, 2014
13 https://indianexpress.com/article/opinion/columns/i-feel-i-am-on-a-hit-list/
देश के एक प्रमुख अिंग्रेज़ी अख़बार की िुलाई 29, 2019 की रपट के अनुसार, आरएसएस िो एक सािंस्कृनतक सिंगठन है, अप्रैल 2020 से अपना पहला सैननक स्कूल उत्तर रदेश के बुलिंदशहर मेंशुरू करने िा रहा है। इस के पहले ित्थे में 160 लड़के दाखखल ककए िायेंगे। आरएसएस के वररष्ट्ठ नेता रज्िू भैया के नाम पर बना यह स्कूल में प्रवेश परीक्षा के ललए रजिस्रेशन भी शुरू हो गया है। 'रज्िू भैय्या सैननक ववद्या मिंहदर' (आरबीएसवीएम) नामक यह सैननक स्कूल आरएसएस द्वारा सिंचाललत अपने तरह का पहला स्कूल है। आरएसएस के एक वररष्ट्ठ नेता अिय गोयल के अनुसार स्कूल की इमारत 20,000 वगग मीटर के क्षेत्र में लगभग बन चुकी है और स्कूल में कक्षा छह में 160 बच्चों के पहले बैच के ललए आवेदन शुरू हो गए हैं। आरबीएसवीएम के ननदेशक कनगल लशव प्रताप लसिंह ने कहा, 'हम छात्रों को एनडीए, नेवल अकादमी और भारतीय सेना की प्रौद्योधगकी परीक्षा की तैयारी कराएिंगे। हम 6 अप्रैल (2020) से सत्र शुरू कर देंगे। गोयल ने यह भी चौंकानेवाली िानकारी दी कक “देश के बहुत सारे सैननक अधधकारी आरएसएस और उस से िुड़े सिंगठनों के सिंपकग में हैं। मज़े के एबॉट यह है की यह सैननक स्कूल िो ििंग लड़ने का प्रलशक्षण देगा उसका सिंचालन 'रािपाल लसिंह िनकल्याण सेवा सलमनत' करेगी।xiv
इस स्कूल के वेबसाइट जिसे मई 26, 2020 को देखा गया के अनुसार इस स्कूल का पहला सत्र 75 छात्रों के दाख़ले से आरम्भ हो गया है।14 इस सूची में लसफग एक ही धमग से िुड़े छात्रों का नाम है।
एक राज्यपाल की र्ृहयुद्ध की इच्छा
िूसलयो ररबेरो सही थे, िब उन्होंने सलखा था क्रक मुसलमानों का सफाया आरएसएस के कायतकर्ातओं का लक्ष्य है । यह क्रकसी और के द्वारा नहीं, बक्कक आरएसएस के एक वररष्ट् ि ववचारक और बत्रपुरा के राज्यपाल र्थागर् रॉय द्वारा
14 http://www.rbsvm.in/
अनुमोददर् क्रकया गया । 18 िून 2017 को, आरएसएस के इस पूिनीय हस्ती ने आरएसएस के एक अन्य पूिनीय हस्ती श्यामा प्रसाद मुकिी की बार् को उद्धृर् करर्े हुए, सलखा:
“श्यामा प्रसाद मुखिी ने 10/1/1946 को अपनी डायरी में सलखा: ‘दहंदू-मुक्स्लम समस्या बबना गृहयुद्ध के हल नहीं होगी’। यह सलंकन के ववचारों िैसा था!”
ध्यान दीक्िए; यह कोई सडक छाप व्यक्क् र् नहीं था, िो भारर् के मुसलमानों के ख़िलाफ गृहयुद्ध के सलए ललकार रहा था, बक्कक सवोच्च संवैधाननक पदों में से एक पर ववरािमान बत्रपुरा राज्य का राज्यपाल है । िब इस बार् को लेकर उनकी आलोचना की गई, र्ो उन्होंने यह कहर्े हुए दटप्पर्ी वापस लेने से इनकार कर ददया क्रक वह केवल एस.पी. मुखिी को उद्धृर् कर रहे थे। इसके अलावा, मोदी सरकार ने उन्हें संरक्षर् देना िारी रखा, क्योंक्रक उनसे कोई स्पष्ट्टीकरर् नहीं मांगा गया था।15
आरएसएस ने भारत के आस-पास के क्षेत्र में मुक्स्लमों और ईसाइयों के विरुद्ध एक नेटिकग तैयार ककया
अंर्रातष्ट्रीय मीडडया ररपोटों के अनुसार, आरएसएस दक्षक्षर् एसशया में मुसलमानों और ईसाइयों के ख़िलाफ फासीवादी बौद्ध सिंगठनों के साथ लमलकर एक चरमपिंथी गिबंधन बना रहा है। 15 अक्टूबर, 2014 को ‘डेडली अलायन्स अगेंस्ट मुक्स्लम्स’ नामक एक संपादकीय में न्यूयॉकत टाइम्स ने इस संबंध में सनसनी़िेज़ र््यों का खुलासा क्रकया।16
बाबा रामदेि ने देश की सम्पवि की सुरिा के शलए सुरिा एजेंसी का श्री-गणेश ककया
15 https://thewire.in/politics/tripura-governor-slammed-on-twitter-for-quoting-prophecy-of-hindu-muslim-civil-war
16 https://www.nytimes.com/2014/10/16/opinion/deadly-alliances-against-muslims.html & https://www.hastakshep.com/old/india-its-neighbourhood-rss-building-a-deadly-alliance-against-muslims-christians/
यह कोई संयोग नहीं था क्रक एक दहन्दूवादी संर् और वववादास्पद प्रससद्ध योग गुरु, भारर् में सबसे अमीर व्यक्क् र्यों में से एक र्था आरएसएस-भािपा शासकों के वप्रय, बाबा रामदेव ने अपने पर्ंिसल योगपीि रस्ट के र्हर् एक ननिी सुरक्षा एिेंसी शुरू करने का फैसला क्रकया। इस की के अनुसार,
“भारत भर में अपने 11 लाख योग केंद्रों से सुरक्षा कलमगयों की सूची बनाई िाएगी। पराक्रम सुरक्षा प्राइवेट लललमटेड नामक किंपनी युवाओिं को रोज़गार प्रदान करेगी और देश की सिंपवत्त की रक्षा करेगी, पतिंिलल योगपीठ के प्रवक्तास एस.के. नतिारवाला ने कहा कक ... भारत में 50 लाख सुरक्षा कलमगयोंकी आवश्यकता है।”17
रामदेव ने लसक्योररटी बबज़नेस में कदम क्यों रखा, यह समझना मुजश्कल नहीिं है। वे आरएसएस और आरएसएस-भािपा दुवारा चलाई िा रही कई सरकारों के के ब्ािंड एिंबेसडर हैं और हमलावर हहन्दू राष्ट्र-वाद का प्रचार लगातार करते रहते हैं । माचग 2016 में उन्होंने ‘भारत माता की िय’ का िाप करने से इनकार करने वाले लोगों की मुिंडी काटने का आह्वान ककया था ।18
यह कोई साधारण सुरक्षा एिेंसी नहीिं है। रामदेव ने इसे “युवाओिं को रोज़गार प्रदान करने और देश की सिंपवत्त की रक्षा करने” के ललए शुरू ककया िै । इसपर एक हहिंदू राष्ट्रवादी उद्यम होने का आरोप है। ऐसे ननगगमों (outlets) के रहते आरएसएस और अन्य हहिंदुत्व सिंगठनों को ख़ुकफ़या तौर पर आम्सग रेननिंग कैंप आयोजित करने की आवश्यकता नहीिं होगी थी। रामदेव के 11 लाख योग केंद्रों में से ककसी में भी प्रवेश करें और सभी प्रकार के हधथयारों का प्रलशक्षण प्राप्त करें। दुभागग्य से, ऐसे हहिंदुत्व उपक्रमों की ककसी राज्य या ग़ैर-राज्य स्तर पर कोई िाँच नहीिं हुई है और ना हीिं यह पता है की इन को प्रलशक्षण के ललए कौन-कौन से शास्त्रों का ललसेंसे लमला है।
17 https://www.bloombergquint.com/pursuits/baba-ramdev-patanjali-enters-private-security-business-with-parakram-suraksha
18 https://www.sabrangindia.in/article/open-letter-head-chopping-billionaire-baba-ramdev
यहद