Thursday, February 9, 2023

यूजीसी और सरकार को इस एकतरफा क़दम को रोकने के लिए आवाज उठाएं।

 आओ आवाज उठाएं

यूजीसी दिशानिर्देशों के मसौदे को रद्द करें
हम
विदेशी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को भारत में अपने कैंपस (परिसर) स्थापित करने की सुविधा देने के लिए UGC के कदम का कड़ा विरोध करते हैं, जिससे उन्हें 90 दिनों की अनुमोदन प्रक्रिया के बाद फीस तय करने और शिक्षकों की भर्ती में स्वायत्तता की अनुमति मिलती है। इसके चलते महंगी फीस वाले, संभ्रांत संस्थानों का निर्माण होगा जो देश में उच्च शिक्षा की संरचना को और विकृत करेगा।

इस तरह के परिसरों की स्थापना के नियमों से पता चलता है कि वे घरेलू और विदेशी छात्रों को प्रवेश देने के लिए अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया और मानदंड विकसित कर सकते हैं। उनके पास अपनी फीस संरचना तय करने की स्वायत्तता भी होगी, और भारतीय संस्थानों पर लगाए गए किसी भी कैप का सामना नहीं करना पड़ेगा।

विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों को धन की सीमा पार आवाजाही और विदेशी मुद्रा खातों के रखरखाव, भुगतान के तरीके, प्रेषण और प्रत्यावर्तन की भी अनुमति होगी।

इससे स्पष्ट है कि सरकार और उच्च शिक्षा प्राधिकरणों की शैक्षिक नीतियां शैक्षिक प्रक्रिया की संप्रभुता को कमजोर कर देंगी। अतीत में, भारतीय कॉरपोरेट्स को संस्थान स्थापित करने की अनुमति दी गई है, उन्हें राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का दर्जा दिया गया है, जिसके बाद सार्वजनिक रूप  में कोई और विकास नहीं हुआ है। भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र नई शिक्षा नीति के बाद और कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के अति उत्साही प्रयास से जूझ रहा है। सभी अध्ययनों से पता चला है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ड्रॉपआउट दर में तेजी से वृद्धि हुई है। आर्थिक और सामाजिक असमानताओं का शिकार होने वाले छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच गंभीर खतरे में है। इस तरह यह प्रस्तावित कदम देश में उच्च शिक्षा की मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम नहीं होगा।

हम दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि यूजीसी और सरकार इस मसौदा प्रस्ताव को रद्द करे और शिक्षकों, छात्रों और उन सभी संगठनों के साथ परामर्श शुरू करें जो उच्च शिक्षा के भविष्य हेतु गम्भीर रूप से चिंतित हैं। यूजीसी को यह भी समझना चाहिए कि वह राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना एकतरफा वैधानिक रूप से कदम नही उठा सकती है ।

हम सभी लोकतांत्रिक और देशभक्त ताकतों से अपील करते हैं कि वे यूजीसी और सरकार को इस एकतरफा क़दम को रोकने के लिए आवाज उठाएं।
डॉ रणबीर
जन स्वास्थ्य अभियान
हरियाणा ।

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