Thursday, February 9, 2023

क्या कसूर किया था गैलीलियो ने?

 क्या कसूर किया था गैलीलियो ने?

विज्ञान का हर विद्यार्थ गैलेलियो के नाम से परिचित है ।ये एक प्रसिद्ध खगोलविद थे। इन्होंने दूरदर्शी बनाया था। खगोल पिंडों का अवलोकन किया था । गति के नियमों पर काम किया था। पीसा की झुकी हुई मीनार का प्रसिद्ध प्रयोग इनके खाते में दर्ज है । ये कॉपरनिकस के सिद्धांत के समर्थक थे ।अपने अवलोकनों के द्वारा इन्होंने सूर्य केंद्रिक प्रणाली को स्थायित्व दिया था । ये चर्च की नजरों में चढ़े। इन्हें सजा मिली ।अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों ये परेशान रहे। आखिरी यह मामला क्या था? यह थी उनकी एक पुस्तक जो उनके जी का जंजाल बनी।
गैलीलियो से पहले ज्ञान की दुनिया में अरस्तु का बोलबाला था। ब्रह्मांड की भू केंद्रित प्रणाली को मान्यता थी। धर्म ग्रंथों ने इस पर मोहर लगा रखी थी। कॉपरनिकस ने सूर्य केंद्रित प्रणाली की अवधारणा रख दी थी। प्रयोग होने अभी बाकी थे। ब्रूनो ने इसका बहुत प्रचार किया था इन्हें जान से हाथ धोना पड़ा था । गैलीलियो ने बात को आगे बढ़ाया। चेतावनी भी मिली। लेकिन ये संभल कर चल रहे थे। इनके दिमाग में बहुत दूर की सोच थी। चर्च भी चौकन्ना था। इनकी हर बात पर उसकी नजर थी। जब गैलीलियो की उम्र बढ़ने लगी तो इन्होंने अपने काम को अंजाम देना चाहा। इन्होंने एक पुस्तक लिखने की सोची। सन 1630 में यह पुस्तक पूरी हुई ।पुस्तक का नाम था  डॉयलॉग कंसर्निंग दी टू चीफ वर्ल्ड सिस्टम्स । यह दो मुख्य प्रणालियां थी ब्रह्मांड का टॉलमी मॉडल और दूसरा था कॉपरनिकस का मॉडल। यह पुस्तक दार्शनिक बहस का एक बहुत सुंदर उदाहरण है। गैलीलियो इन दिनों फ्लोरेंस में रहते थे। किताब को छपवाने के लिए रोम की अनुमति अनिवार्य थी ।पुस्तक की पांडुलिपि रोम भेज दी गई। उत्तर में चेतावनी आई। गैलीलियो बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे राजघरानों में इनके परिचय थे  गैलीलियो ने पोप अर्बन अष्टम से मिलने का मन बनाया ।  ये उनके मित्र भी थे। इन्हीं की अनुमति से पुस्तक छप सकती थी। पोप अर्बन अष्टम ने कुछ अच्छी सलाह दी। साथ में खबरदार भी किया। इस खबरदारी में दोस्ती का कम ख्याल रखा गया था। तय हुआ की पुस्तक फ्लोरेंस में छपे ।पुस्तक की भूमिका में टॉलमी  मॉडल का समर्थन किया जाए और गैलीलियो स्वीकार करें कि यह उनके अनुमान है। आखिर सन 1632 में यह पुस्तक छप गई। जैसे ही पुस्तक बाहर आई चर्च की निगाहों में चढ़ी। गैलेलियो ने पुस्तक के अंदर सामग्री से कोई समझौता नहीं किया था। पोप ने एक स्पेशल कमीशन गठित किया। गैलीलियो को रोम बुलाया गया ।यह बात अगले वर्ष सन 1633 की थी। गैलीलियो से पहला ही प्रश्न यह किया गया ,  आपको पहले चेतावनी दे दी गई थी फिर आपने यह हिम्मत कैसे की? गैलेलियो ने अपने बचाव में एक पत्र पेश किया ।यह पत्र पुराना लिखा हुआ था। यह एक पूर्व पोप बैलारमाईन जो उस समय जीवित नहीं थे का लिखा हुआ था। इसमें यही लिखा हुआ था की गैलेलियो को कॉपरनिकस का समर्थन करने के लिए केवल धिक्कारा जाता है सजा की कोई बात नहीं थी ।रोम इससे संतुष्ट नहीं हुआ। गैलीलियो को कारावास की सजा सुनाई गई। लेकिन यह कारावास आसान शर्तों पर था ।पहले उन्हें एक दूतावास में रखा गया बाद में इन्हें घर में नजरबंद की इजाजत मिल गई ।अंतिम दिनों में इनकी देखभाल इनकी बेटी मारिया का लेस्टा ने की ।
अब बात आती है कि इस पुस्तक में था क्या। इस पुस्तक में 3 पात्रों के बीच वार्तालाप है। यह वार्तालाप 4 दिन चलता है एक पात्र का नाम है सालवीयती। यह एक बुद्धिजीवी है। यह गैलीलियो का पक्ष रखते हैं। यह एक प्रकार से गैलीलियो ने अपना नाम बदल कर रखा है।  दूसरे पात्र का नाम है सैग्रेडो ।यह शहर का एक धनी व्यक्ति है ।यह किसी का पक्ष नहीं लेता। यह सच्चाई जानना चाहता है। बहस में बहुत कम भाग लेता है ।कभी-कभी स्पष्टता के लिए बाकी दोनों पात्रों से कुछ पूछ लेता है ।यह एक वास्तविक पात्र है ।तीसरे पात्र का नाम है सिंपलिसीओ। यह एक काल्पनिक पात्र है ।यह अरस्तु के मत की पक्षधरता करता है। सालवीएटी और सिंपलसीओ के बीच में दो मुख्य मुद्दों पर सवाल-जवाब चलते हैं ।सैग्रेडो इन दोनों को सुनता है और समझना चाहता है। ब्रह्मांड में पिंडों की स्थिति पर सवाल होते हैं ।सिंपली सीओ टालमी और अरस्तु के उदाहरण तर्क के रूप में रखता है। इसी प्रश्न के उत्तर में साल वीटी कहता है इन पिंडों की स्थिति दूरदर्शी के द्वारा देखी जा सकती है। गति के प्रश्नों पर सिंपलीसीओ कहता है ईश्वर की मर्जी है वह इस ब्रह्मांड को कैसे भी चलाएं। यह हमें वैसे ही दिखाई देंगी जैसा वह हमें दिखाना चाहेगा ।सालवीयती का कहना था कि इन्हें समझा जा सकता है ।सिम्पलीसियो फिर प्रश्न करता है कि क्या पूर्व में व्यक्ति कम ज्ञानी थे ।उसका इशारा अरस्तु की ओर था। सालवीयती ने फिर उत्तर दिया,  उस समय लोगों के पास ऐसे साधन उपकरण या यंत्र नहीं हो सके थे ।इस समय की सुविधाएं उस समय नहीं हो सकती थी। सैग्रेडो दोनों की पूरी बहस को सुनकर सालवीएटी के पक्ष में जाकर खड़ा हो जाता है ।बहस यहां समाप्त हो जाती है ।
गैलेलिओ ने इस पुस्तक में दो तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों को रखने की कोशिश की है। प्रथम है, इस पृथ्वी पर हम चाहे कैसे भी कितने भी प्रयोग कर ले यह यथार्थ की सापेक्ष व्याख्या ही करेंगे। दूसरा था, सहज ज्ञान से अनुमान लगाए गए उत्तरों की अपेक्षा प्रयोगों एवं अवलोकनों द्वारा प्राप्त किए गए उत्तर अपेक्षाकृत ज्यादा सही होते हैं। अंत में सिंपलीसीओ को एक प्रश्न के उत्तर में -  तो फिर अथॉरिटी क्या है ? सालवियती दोनों को संबोधित करते हुए कहता है mind ,senses and observations ।

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