Saturday, January 1, 2011

मरने वाले

समाज की खातिर मरने आले आज तलक तो मरे नहीं
कुर्बान भारत देश पर होने वाले कदे किसे तै भी डरे नहीं
सफ़दर की हंसी हवा मैं आज भी नयोंए गूँज रही सै
चारों धाम यो मच्या तहलका सारी दुनिया बूझ रही सै
बैरी को नहीं सूझ रही सै पिछले गढ़े इबै ये भरे नहीं
मीडिया मैं जगहां बनाई वीडियो बढ़िया त्यार करि थी
खिलती कलियाँ के माँ बात सही दखे हर बार करी थी
जवानी उसकी हूंकार भरी थी गलत काम कदे करे नहीं
जितने जीया सफ़दर साथी वो जीया जमा जी भरकै नै
भावुक लेखक बढ़िया अदाकार वो बण्या कोशिश करकै नै
निभाया वायदा मरकै नै जुल्मों तै सफ़दर कदे डरे नहीं
एक सफ़दर नै राह दिखाई हजारों सफ़दर इब आगै आवैंगे
माला हाश्मी बणी सै चिंगारी घर घर मैं जा अलख जगावैंगे
फिरकापरस्ती तैं टकरावैंगे रणबीर के कलम दवात जरे नहीं

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