Wednesday, March 20, 2013

रिवाज घूँघट का

                    रिवाज घूँघट का
बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥
चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥
ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी
नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी
सासू पितस तैं  भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥
नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई
सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई
घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥
सिर उभाणी  या बहु अन्घानी  कदे कदीमी सुणते आये
बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये
या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥
रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै  सही तस्वीर दखे
बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं  बीर दखे
इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥



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