Tuesday, March 19, 2013

manmohan

फ़ासीवाद जनचेतना का सम्पूर्ण विक्षेप है।    हरियाणा में  खाते-पीते मध्य वर्ग और अन्य साधन सम्पन्न तबक़ों का इसे समर्थन किसी हद तक सरलता से समझ में आ सकता है, जिनके हित इस बात में हैं कि स्त्रियां, दलित, अल्पसंख्यक और करोड़ों निर्धन जनता नागरिक समाज के निर्माण के संघर्ष से अलग रहें। लेकिन साधारण जनता अगर फ़ासीवादी मुहिम में शरीक कर ली जाती है तो वह अपनी भयानक असहायता , अकेलेपन, हताशा अन्धसंशय, अवरुद्ध चेतना, पूर्वग्रहों, उदभ्रांत कामनाओं के कारण शरीक होती है। फ़ासीवाद के कीड़े जनवाद से वंचित और उसके व्यवहार से अपरिचित, रिक्त, लम्पट और घोर अमानुषिक जीवन स्थितियों में रहने वाले जनसमूहों के बीच आसानी से पनपते हैं। यह भूलना नहीं चाहिए कि हिन्दुस्तान की आधी से अधिक आबादी ने जितना जनतंत्र को बरता है, उससे कहीं ज़्यादा फ़ासीवादी परिस्थितियों में रहने का अभ्यास किया है।`

No comments:

Post a Comment