Saturday, July 12, 2014

डीप वेन थ्रोम्बोसिस

डीप वेन थ्रोम्बोसिस

        1.  किसे कहते हैं?

जब खून के नसों में खून का थक्का जम जाता है, उसेथ्रोम्बोसिस कहते हैं| 
अगर यह शरीर के भीतरी नसों में होता है, तो उसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस कहते हैं| 
यह अकसर पैर के नसों में होता है|
         2.  क्या महत्व है?
अगर यह जमा हुआ खून का थक्का, पैर से निकल कर फेफड़ों तक पहुंच जाता तो यह
 भयानक बीमारी कर सकता है या फिर जानलेवा भी हो सकता है|
          3.  क्यों होता है?
डी वी टी खून के जमने से होता है| इसके विभिन्न कारण हैं, लेकिन मुख्य रूप से दो प्रकार के कारण हो सकते हैं|
  • 1 पहला, की खून का बहाव धीरे है या रुक गया है| उदाहरण के लिए नीचे अनेक स्थिती दिए गए हैं, जिसमें कि पैर का उपयोग कम होता है -
    • किसी बीमारी या गर्भ में बिस्तर पर लेटे रहना पड़ रहा है|
    • आप अधिकतर खड़े होकर काम करते हैं, जैसे कि अध्यापक, नर्स, सर्जन या अन्य|
    • आप लंबे समय तक पैर नहीं चलाते हैं, जैसे कि बहुत देर का विमान यात्रा|
  • 2 दूसरा कि खून में जमने का प्रवृती बढ़ गया है
  • खून में अनेक प्रकार के चीज होते हैं, कुछ का काम होता है किसी शरीर के हिस्से के  कटने पर खून को जमाना और कुछ का काम होता है कि खून के नसों के अंदर खून को बहने देना| सामान्य स्थिती में, ये दोनों तरह के पदार्थ संतुलित मात्रा में रहते हैं| अगर किसी कारण से यह संतुलन बिगड़ता है, तो नसों के अंदर खून जम सकता है|यह कोएगुलेसन सिस्टम और नेचुरल कोएगुलेंट फैक्टर्ज के तथा कोएगुलेसन और फिब्रिनोलीटिक सिस्टम के  बड़े ही नाजुक संतुलन पर निर्भर करता है । बहुत से कारकों में से कोई भी कारक अकेले या मिलकर इस संतुलन को बिगाड़ सकते हैं और खून जमने की शुरुआत कर सकते हैं \ इसका कोई टाइम फ्रेम नहीं निकाला जा सका है । 
     उदाहरण के लिए नीचे अनेक स्थिती दिए गए हैं -
    • किसी भी प्रकार का सर्जरी, जो कि पैर, जांघ, कमर या पेल्विस पर किया गया हो|
    • कैंसर होने से डी वी टी का खतरा बढ़ जाता है|
    • धूम्रपान करने से डी वी टी का खतरा बढ़ जाता है|
    • दिल का बीमारी जिसमें दिल कमजोर हो जाता है | इसे कंजेस्टिव  हार्ट फैलिअर (congestive heart failure) कहते हैं| इस स्थिती में दिल पूरे तरह से खून को पम्प करने में सक्षम नहीं होता है, और खून पैरों में जमा होने लगता है|
    • पैर के नसों के कमजोरी से जिसमें भी खून पैरों में जमा होने लगता है| सामान्य स्थिती में खून को पैर से दिल की  तरफ लौटना चाहिए| इसमें पैर में एक तरफ जाने के लिए वाल्व होता है, जो खून के  बहाव को दिल के तरफ रखता है| अगर नसों के वाल्व में कमजोरी आ जाती  है, तो खून के बहाव में रुकावट आ जाती  है, और फिर पैर में खून जमा होने लगता है|
    • अगर आप गर्भ निरोधक गोली (oral contraceptive pills) लेते हैं तो भी यह बीमारी हो सकती है 
    • अगर आपको मोटापा है
    • अगर आपको मीनोपॉज  (menopause) हो चुका है

4.  लक्षण

आधिकांश समय इसका कोई लक्षण नहीं होता है| लेकिन जब खून का थक्का जमा होने लगता है, तब इसके लक्षण प्रकट हो जाते हैं| कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं, जो कि पैर में होते हैं| यहां पैर से मतलब है तलवा से लेकर जांघ तक कोई भी जगह|
  • पैर का फूलना
  • पैर में दर्द होना
  • पैर लहर्ना
  • पैर में अत्यन्त खुजली होना
  • पैर का रंग बदलना - लाल या नीला पड़ जाना

5.  जांच

  • सोनोग्राम (sonogram) - मशीन द्वारा बाहर से नसों का फोटो खींचना
  • वेनोग्राफी (contrast venography) - नसों में सुई द्वारा एक तरह रंग दिया जाता, और फिर उसका फोटो खीचा जाता है
  •  कलर डॉप्लर स्टडी की जाती है जिससे नाड़ी  में खून कहाँ जमा हुआ है और कहाँ तक जमा हुआ है इसका पता चल जाता है और इलाज शुरू कर दिया जाता है । 
  • इसके साथ ही खून के टेस्ट भी करवाये जाते हैं --बी टी सी टी ब्लीडिंग टाइम और क्लॉटिंग टाइम । प्रोथ्रॉम्बिन टाइम 10 to 14 सेकिण्ड , पार्सिअल प्रोथ्रॉम्बोप्लास्टिन  टाइम--25-35  सेकिण्ड और आई अन आर ( INR) नार्मल स्तर 0.9 to --- 1.1.होता है । जब दवाई दी जाती है तो यह INR 2 -3. 5  के बीच रहना चाहिए । 

6.  इलाज

इसमें खून के थक्का को गलाने के लिए दवा लिया जाता है| यह दवा अस्पताल में शुरू किया जाता है| ये दवाईयां  खून को पतला करती  हैं, इसीलिये  अनेक बार खून की  जांच की  जायेगी | ये दवा करीब 6 महीनों तक लेनी  पड़ सकती  हैं| साथ ही उन कारणों को पहचानना होगा जिससे आपको यह बीमारी हुआ, और उसे हटाने के लिए आपको उपाय करना होगा|

  • हैपेरिन -तुरंत असर करती है इसलिए पहले इसके टीके से  इलाज  किया जाता है और 4 या 5 दिन के बाद गोली सिंटरओम (वारफैरिनसे इलाज आगे बढ़ाया जाता है और टीम महीने से छह महीने तक इलाज किया जाता है । 

फर्स्ट ड्राफ्ट 









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