Tuesday, February 14, 2023

मौलाना आज़ाद छात्रवृत्ति*

 *केंद्र ने बंद की अल्पसंख्यक समुदायों के शोधार्थियों के लिए मौलाना आज़ाद छात्रवृत्ति*


*मामला क्या है*

अल्पसंख्यक समुदाय के जो छात्र PHD प्रोग्राम में दाखिला लेकर रिसर्च का काम करते हैं और उनका JRF नही हो पता तो उनको अल्पसंख्यक समुदाय को दी जाने वाली फैलोशिप में मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप दी जाती थी। जो उनके शोध में आर्थिक सहायता करती थी।  अब केंद्र ने अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (MANF) को इस शैक्षणिक वर्ष से बंद करने का फैसला किया है। ये छात्रवृत्ति सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने के हिस्से के रूप में यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गई थी।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को यहां लोकसभा में बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि MANF कई अन्य योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है।

सुश्री ईरानी ने कहा, “चूंकि एमएएनएफ योजना सरकार द्वारा लागू उच्च शिक्षा के लिए कई अन्य फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है और अल्पसंख्यक छात्रों को पहले से ही ऐसी योजनाओं के तहत कवर किया गया है, इसलिए सरकार ने 2022-23 से एमएएनएफ योजना को बंद करने का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा कि योजना को लागू करने वाले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 और 2021-22 के बीच इसके तहत लगभग 6,722 उम्मीदवारों का चयन किया गया था और इस दौरान 738.85 करोड़ रुपये की फेलोशिप वितरित की गई थी।

MANF योजना का लाभ उठा कर अनेकों अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र अपने शोध करते थे। लेकिन कई शोधकर्ता सरकार के इस कदम से आगे शोध करने का अवसर खो देंगे। देश के सामाजिक,धार्मिक रूप से कमजोर तबके के लिए छात्रवृत्ति का अवसर देश के सविधान द्वारा दिया गया है। ताकि ये तबके अपने पिछड़ेपन को कम कर सके।लेकिन सरकार पिछले लंबे समय से अनेक ऐसे कदम उठा रही हैं, जिससे इन तबकों का विकास होना तो दूर बल्कि इन तबकों की स्थिति लगातार खराब हो रही है। हम चाहते हैं कि अगर इसमें कुछ विसंगतियां हैं तो केंद्र सरकार इन विसंगतियों को दूर करे। अभी केंद्र ने विसंगतियों को दूर करने के बजाय छात्रवृत्ति को पूरी तरह बंद कर दिया है। सरकार बीमार की बीमारी को ठीक ना करके बीमार को ही खत्म कर दिया।  सरकार ऐसे छात्रवृत्ति योजना को खत्म करके अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला कर रही है। जो सरासर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं ।
ऐसा नहीं है कि यह सरकारों के द्वारा पहली बार किया गया है। इससे पहले भी 2017 से ही हरियाणा में OBC की स्कालरशिप को बंद कर दिया गया है। और NFOBC को लगातार खत्म किया जा रहा है।
SC की स्कॉलरशिप में भी लगातार कटौती की जा रही है । जोकि सामाजिक और आर्थिक दोनों रूप से कमजोरों के साथ अन्याय है। केंद्र के इस फैसले से आप अंदाजा लगा ही सकते हैं कि सरकार शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट कर रही है। 
छात्र एकता मंच (हरियाणा) इस छात्र विरोधी फैसले का पुरजोर विरोध करता है ओर इसके खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने का आह्वान करता है । छात्र एकता मंच (हरियाणा) मांग करता है कि केंद्र अपने फैसले पर वापिस ले।

सभी प्रकार की फैलोशिप बहाल करो।
अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले बंद करो।
शिक्षा है सबका अधिकार बंद करो इसका व्यापार।
हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते हैं।
छात्रवृत्ति के लिए संघर्ष तेज करो।
शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के लिए संघर्ष तेज करो।
एमबीबीएस की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ संघर्ष तेज करो
छात्र एकता मंच
   (हरियाणा)

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