Sunday, July 4, 2021

संजय रोकडे़

 आलेख

आलम यही रहा तो, निष्चित तौर पर

खतरे की घंटी बजनी है

संजय रोकडे़

भारत में कोरोना काल के दौरान जो तबाही मची है,उसके लिए काफी हद तक सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी  जिम्मेदार है। क्योकि आरएसएस की विचारधारा के अनुकूल लोगों को ध्रुवीकृत करके सत्ता हथियाना एक बात है और सत्तारूढ़ होने पर देश को चलाना दूसरी बात है। लेकिन दुर्भाग्य है कि महामारी के इस भयानक दौर में भी आरएसएस और भाजपा ने अपनी नीति और नीयत में बदलाव नहीं किया है। वे आज भी लोगों को धर्म का अफीम देकर नशे में चूर रखना चाहते हैं। जो लोग इस तरह नशे के आदी नहीं हैं, उनके बीच हिंदू-मुस्लिम का जहर घोलकर उन्हें मार देना चाहते हैं। लेकिन लोग समझने को तैयार नहीं हैं। सत्ता हासिल करने के बाद भी संगठन की खोखली बातों पर ही अमल कर रहे हैं, संगठन और सत्ता में जमीन आसमान का अंतर है। संगठन की रीति-नीति उसकी कार्यप्रणाली सत्ता को हासिल करने की होती है और सत्ता का काम लोगों के दुःख-दर्द को समझकर उससे निजात दिलाने का होता है। लेकिन सच तो यही है कि भाजपा में जो लोग सत्ता का मजा चख रहे हैं, वे जनता को सुख देने के बजाय तकलीफ में डालने का काम कर रहे हैं। इस बात की तसदीक करने के लिए हमें वजीरे आज़म नरेन्द्र मोदी के कुछ फैसलों की तरफ नजरें इनायत करना चाहिए। मोदी सरकार की चंद नीतियां हैं, जो महामारी से ध्यान हटवाकर इसे हिंदू-मुस्लिम का जामा पहनाने की कोशिश हो रही है। मोदी सरकार के हाल में लिए गए फैसले इस बात को सच साबित करते हैं कि कोविड-19 महामारी पर ज्यादा ध्यान न देकर इसे केवल साम्प्रदायिकता का रूप देना चाहती हैं, ताकि अपनी नाकामयाबियों को छुपा सकें। हालांकि होना यह चाहिए था कि वे एक सशक्त एवं ईमानदार प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते और इस महामारी पर अंकुश लगाने की पहल करते। लेकिन ऐसा नहीं किया। महामारी को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने हिंदुओं की भावना से भावनात्मक खिलवाड़ कर कुंभ मेले जैसे धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाने के बजाए, उन्हें विस्तारित रूप देकर अनुमति प्रदान की। एक दल विशेष के पीएम होने के नाते उन्होंने चुनावी सभाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हाल मे ं हुए विधान सभा चुनावो मे ं लाखों- लाख लोगों की सभाएं कर कोरोना महामारीको बुलावा देने का काम किया। जिसके बाद आलम यह है कि लाखों की तादात में लोग बेसमय मौत के गाल में समा रहे हैं। इलाज के दौरान टूटती सांसों को न ऑक्सीजन मिल पा रही थी न ही दवाइयां। दवाई के अभाव में बेसमय ही लोगों की मौत हो रही थी। मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच झूठी साख बनाने की कोशिश की जा रही है और इलाज के लिए तड़प रहे लोगों को शब्दजाल में फंसाकर मूर्ख बनाने का काम किया जा रहा है। देश के अंदर इस समय जिस तरह के हालात निर्मित हुए हैं और जो घटनाएं घटी हैं, उनको देखते हुए शीर्ष नेतृत्व को यह समझना होगा कि वर्ष 2019 की जीत के बाद जिस तरह से सरकार चल रही है, उसमें अब सुधार की काफी जरूरत है। 

सरकार को इस पहल के लिए सबसे पहले सच

स्वीकारना होगा, क्योंकि वह जनता को ऑक्सीजन तक

मुहैया नहीं करवा पाई है। इसलिए स्थिति का सामना

करते हुए, उसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को हटाना

होगा। जनता यह भी जानना चाहती है कि कोविड-19

के पहले साल में ही वैज्ञानिकों ने इस संकट को संभालने

का संकेत दिया था, तो फिर उसको लेकर धरातल पर

काम क्यों नहीं दिखाई दे रहा है? यदि केन्द्र सरकार

सजग थी, तो देश इतने कम समय में घोर स्वास्थ्य

संकट कैसे झेल रहा है। असल में कोरोना की दूसरी

लहर ने मोदी सरकार के झूठ-सच का पर्दाफाश कर

दिया है। लोग मदद की निगाहों से प्रधानमंत्री मोदी की

तरफ देख रहे हैं, लेकिन वे जनता से आत्मनिर्भर बनने

की बात कर रहे हैं। मोदी सरकार के व्यवहार से साफ

है कि वे सिर्फ चुनाव के समय जनता के बीच जाकर

लोगों को धर्म का अफीम पिलाकर वोट ले लेते हैं और

चुनाव जीतने के बाद उन्हें अपने हाल में छोड़ देते हैं।

इसलिए लोग भयावह स्थिति के लिए अब सीधे-

सीधे भाजपा सरकार से कहीं ज्यादा नरेन्द्र मोदी को दोषी

मान रहे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीदें थी, वे भी

निराश नज़र आ रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण आगरा

शहर से सामने आया है। आगरा में अमित जायसवाल

नाम का एक शख्स था, वह मोदी का परम भक्त था।

हाल ही में कोरोना से उसकी जान चली गयी। अमित

जायसवाल को स्वयं मोदी ट्विटर पर फॉलो करते

थे। जब वह कोविड से ग्रसित हुआ तो उसकी बहन

ने अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए पीएमओ, नरेन्द्र

मोदी और योगी आदित्यनाथ को टैग करके मदद मांगी,

लेकिन सब जगह से निराशा ही हाथ लगी। उनकी मौत

के कुछ दिन बाद ही उसकी मां की भी मौत हो गई।

अमित जायसवाल के दिल में नरेन्द्र मोदी को लेकर

जो दीवानगी थी, हम थोड़ा उसके बारे में भी जान

लेते हैं। अमित जायसवाल के सिर पर नरेन्द्र मोदी का

भूत इस तरह से सवार था कि वे पिछले कई सालों से

अपनी कार के पीछे मोदी का पोस्टर लगाकर बाजार

में घूमते रहता था। वह पीएम की हर अदा का कायल

था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अच्छा करे या बुरा करे उसे

हर रूप में स्वीकार कर अच्छा ही मानता था। अमित

जायसवाल ने अपने ट्विटर हैंडिल में यह लिख रखा

था कि उसे प्रधानमंत्री फॉलो करते हैं। इस संबंध में

एक वेबसाईट ने तो उसके ट्विटर हैंडिल का स्क्रीन

शॉट भी प्रकाशित किया था। मजेदार बात यह है कि

अब वह ट्विटर हैंडिल अस्तित्व में नहीं है। उसे डिलीट

किया जा चुका है।

वह भाजपा और आरएसएस का एक सच्चा सिपाही

था। वह एक सच्चे हिन्दू झंडाबरदार की तरह पिछले

साल न केवल अयोध्या गया था, बल्कि उसने पूरे शहर

में राम मंदिर का काम शुरू होने पर अपनी तरफ से

अयोध्या में एलईडी बैनर भी लगवाए थे। इन पर राम

जन्मभूमि की इबारत चमक रही थी। अमित जायसवाल

को आगरा में आरएसएस से जुड़े लोग बहुत मेहनती

स्वयं सेवक के रूप में जानते थे। पिछले साल उसने

आगरा म े ं लॉकडाउन क े समय एर्क इ -शाखा का

आयोजन कर संघ-भाजपा के तमाम छोटे बड़े नेताओं

की वाहवाही भी खूब लूटी थी।

सच तो यह है कि वह व्यक्ति कट्टर हिंदुवादी

था। उसने अपने ट्विटर हैंड़ल पर जो तस्वीर लगा

रखी थी, वह उसकी उग्रता को खुलकर बयां कर रही

थी। यह तस्वीर राम की है, जो युद्ध करने की मुद्रा

में धनुष पर बाण चढ़ाए रखे है। उन्होंने इसके बगल

में एक कैप्शन भी लिख रखा था कि-‘वी कांकर, वी

किल’। यानी हम विजय प्राप्त करते हैं, हम वध करते

हैं। यह कैप्शन उनके हिंसात्मक प्रवृत्ति को साफ बयां

कर रहा था। वह मोदी का अंधभक्त था। लेकिन उसकी

यह अंधभक्ति कोई काम नहीं आई। क्योंकि एक युवक

बेसमय मोदी के स्वास्थ्य संबंधित कुनीतियों के चलते

मौत की भेंट चढ गया। उसकी मौत के बाद बहन सोनू

ने उसके कार से पोस्टर नोचकर फंेक दिया है। सोनू

कहती हैं कि मेरा भाई अमित और मेरी मां 19 अप्रैल

को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। दोनों को आगरा

में भर्ती कराने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता

नहीं मिली। इसके बाद मथुरा ले जाकर वहां के नयति

अस्पताल में भर्ती किया गया। 25 अप्रैल, 2021 को इन

दोनों की हालत बिगड़ने लगी, तो अस्पताल प्रबंधन

ने रेमडिसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा।

इसी दौरान सोनू ने अपने भाई के ट्विटर अकाउंट से

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को गुहार लगाई।

माईसेल्फ सोनू, मिस्टर अमित जायसवाल्स सिस्टर

दिस इज टू इनफार्म यू दैट वी आर फेसिंग इश्यूज

रिगार्डिंगअरेजमेंट ऑफ रेमडिसिविर एण्ड ट्रीटमेंट। ही

इज एडमिटेड इन नयति हॉस्पिटल मथुरा। वी नीड़

योर हेल्प। ही इज नॉट वेल। इस टिवट् के साथ एट

द रेट पीएमओ इंडिया, एट द रेट नरेन्द्र मोदी, एट द

रेट योगी आदित्यनाथ को टैग किया गया।

लेकिन कोई मदद नहीं मिली। सोनू बेहद उदासी

एवं गुस्से भरे लहजे में कहती है कि इतनी जगहों पर

गुहार लगाने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली। इस

बीच फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने एक टीवी चैनल

में साक्षात्कार के दौरान कहा था कि जीवन में छवि

बनाने से ज्यादा और भी बहुत कुछ है। साक्षात्कार के

अंत में यह कह देना की कोरोना बीमारी के प्रबंधन में

मोदी सरकार की चूक को सीधे-सीधे सामने लाता है।

ये वही फिल्म अभिनेता हैं, जिनकी एक हालिया ट्विट

बड़ी मशहूर हुई थी। इस ट्विट में उन्होंने साफ कहा

था कि कुछ भी कर लो आएगा तो मोदी ही।

यह कहने का मतलब साफ है कि नरेन्द्र मोदी, संघ

एवं भाजपा को हिंदू-हिंदुत्व और हिंदुस्तान के युवाओं से

कोई लेना देना नहीं है। इन्हें केवल सत्ता हासिल करने

के लिए बस युवाओं का भावनात्मक शोषण करना है,

जो युवा अमित की तरह अंधभक्त हैं, उन्हें बस इतना

भर सोचना समझना है कि सत्ताधारियों को सत्ता बचाए

रखने भर से मतलब होता है, बाकी किसी से नहीं।

मगर अब भी युवा इस बात पर गौर नहीं फरमाएंगे

तो अमित जायसवाल की मौत मारे जाएंगे। इस समय

वजीरे आज़म मोदी ने देश में जिस तरह से स्वास्थ्य

आपातकाल के हालात पैदा किए हैं, उसे भी युवाओं

को समझना होगा। यह वह कृत्य है, जो अक्षम्य है।

हालिया घटनाएं यह साबित करती हैं कि मुद्दों

को संभालने में मोदी सरकार नाकाम रही है। लम्बे समय

से चल रहे किसान आंदोलन का भी कोई समाधान

नहीं निकाल पाए हैं। कृषि कानूनों को लेकर हो रहे

इन प्रदर्शनों में ज्यादातर किसान हैं लेकिन हाल में हुए

विधान सभा चुनाव के दौरान किए गए सर्वे से साफ

जाहिर हो गया है कि बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं

कि कृषि कानून वापस हों। हालांकि सर्वे केवल चार

राज्यों की जनता के द्वारा दिए गए जवाब का परिणाम

है,लेकिन दूसरे राज्यों में भी कृषि कानूनों पर लोगों

केअलग विचार नहीं हैं।

यह दर्शाता है कि मोदी सरकार को अपनी नीतियों

पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। इस समय आमजन

को राहत देने के लिए सरकार कोविड-19 की तीसरी

लहर का सामना करने के लिए माकुल रणनीति बनाकर

संसाधनों का उचित प्रबंध करने पर ध्यान दे। इसके

साथ ही आवधिक चुनौती को स्वीकार कर लंबी अवधि

की रणनीति शीघ्र ही बनाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

को यह समझना होगा कि वे जिस हठधर्मिता से शासन

चला रहे हैं, वह देश की जनता को तबाही की ओर ही

धकेल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं बल्कि हिंदुत्व

के तेज तर्रार नुमांइदे के रूप में पहचान बनाने वाले

योगी आदित्यनाथ की नाकामयाबियां भी उनके ही मंत्रियों

द्वारा सामने लायी जा रही है। हाल ही में यूपी के सीएम

होने के नाते योगी को केन्द्र के एक मंत्री और उनके ही

मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों ने नाराजगी से भरी चिट्ठियां

लिखी है। यह बात दीगर है कि योगी ने लिखी गयी

उन चिट्ठियों को दबाकर जनता की नजरों से हटा

दिया है। इस समय मोदी और उनकी पार्टी के लोग

सच को छुपाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। लेकिन

इन दिनों सोशल मिडिया पर आम जनता का गुस्सा

भाजपा के खिलाफ खुलकर सामने आ रहा है। इसमें दो

राय नहीं है कि इनके विरोध में जो कटु बयान सामने

आ रहे हैं वह कोई नई बात है, लेकिन इस बार नई

बात यह है कि मोदी, संघ, भाजपा एवं योगी के समर्थन

में जो ट्वीट और पोस्ट उनके समर्थकों के आ रहे थे,

अब वह उतनी तादात में नहीं आ रहे हैं। अब समर्थक

भी पहले की तरह पुरजोर तरीके से अपनी बात नहीं

रख पा रहे हैं।

 इस प्रकार बड़ी संख्या में जनता का मोदी और

उनकी पार्टी से विश्वास उठने लगा है। अब आलम यह

है कि सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी, प्रतिदिन

अपनी लोकप्रियता खोते जा रहे हैं। क्योंकि केंद्र सरकार

ने संकट के समय में ईमानदारी से काम नहीं किया और

चुनावी रैलियों के साथ हिंदुओं का धार्मिक तुष्टीकरण

करने में जुटी रही।

देश में जिस तरह के हालात निर्मित हो रहे हैं, उसे

देखते हुए यह साफ है कि संघ एवं भाजपा को मोदी

सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाना चाहिए। इसके

साथ-साथ संघ एवं भाजपा को अपने कुछ विवादास्पद

फैसलों पर भी पुनर्विचार करना चाहिए।

यदि मोदी सरकार ने स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी भी

सजगता दिखाई होती तो शायद कोरोना काल में इतनी

बड़ी तबाही नहीं मचती। मोदी और भाजपा अभी भले ही

सत्ता के नशे में चूर होकर अपनी गलतियों को स्वीकार

न करे पर सच तो यही है कि अगर यही आलम रहा

तो आने वाले समय में निश्चित तौर पर खतरे की घंटी

बजने वाली है। 11

लेखक: स्वतंत्र पत्रकार हैं।

सम्पर्क: 103, देवेन्द्र नगर, अन्नपूर्णा रोड,

इन्दौर- 452009, मध्य प्रदेश

ईमेल: उमकपंतमसंजपवद1/हउंपसण्बवउ


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