Monday, July 7, 2014

सिस्टम और इंसान

सिस्टम और इंसान 
सिस्टम इन्सान को गढ़ता है
इंसानों से सिस्टम बनता है
अलग अलग नहीं ये दोनों
प्रभावित एक दूजे को करता
बदला है इसको  इंसानों ने
इसने इंसानों को बदला है
कुदरत के खिलाफ चला तो
इसे कुदरत ने सबक सिखाया
इतिहास गवाह  है इसका 
कुदरत माफ़ नहीं करती है 
देर सबेर पलट वार करती है 
इसलिए कुदरत के नियम 
जानना  बेहद जरूरी कहते
नियम जान उनकी हदों में
आजादी से विचरण कर सकते
कुदरत के खिलाफ जा कर
आजादी का मतलब बर्बादी
इतिहास गवाह है इसका
परिवर्तन हुए हैं और हों  रहे 
मगर परिवर्तन की पहचान
बहुत जरूरी है हमारे वास्ते
कुदरत नियमोंनुसार परिवर्तन
सही बदलाव कहलायेगा मगर
प्रतिगामी बदलाव हमें डबोयेगा
इसलिए वह सिस्टम जो कि
कुदरत हितैषी हों और हों
मानव हितैषी इसकी पहचान
बहुत ही जरूरी बात बताई
इतिहास गवाह है इसका ||

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