Monday, July 7, 2014

फिर भी



हुए  किसी और के  फिर भी अपने से लगते हो 
बहुत  प्यारे हसीन टूटे हुए सपने से लगते हो 
कभी कभी यादों का एक हजूम सा आता है 
अपनी बाँहों में  मुझे  तुम  कसने  से लगते हो 
कभी अकेले में बैठ कर रोने को दिल करता है 
मेरी हालत पे लगता है तुम हंसने से लगते हो 
वो प्यार ही क्या जो करे पछतावा प्यार करके 
प्यार किया हमने तुम मना करने से लगते हो 
अब वो बात नहीं हमने रास्ता बदल लिया है 
मग़र तुम जब मिलते हो तो डरने से लगते हो 
बहुत कोशिश  भुलाने  की  तुम्हें  की   लेकिन 
किसी कोने  में  दिलके फिर सजने से लगते  हो 


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