Sunday, May 17, 2020

साइंस सबकी सै

साइंस सबकी सै
म्हारी साइंस, थारी साइंस, पूर्वी साइंस, पश्चिमी साइंस, कई तरां की साइंस की बात चालती रही सैं अर आगै बी चालती रहवैंगी। फेर थोड़ा सा दिमाग खुरचने तै समझ मैं आवै सै अक साइंस सबकी सै। ‘साइंस इज यूनिवर्सल’। इसनै देशां की अर इलाक्यां की सीमावां मैं बान्ध कै देखना सही कोन्या। मैं यू सवाल पूछना चाहता हूं कि या जो घड़ी हाथ पर बान्ध कै घूमण लागरया सै बेरा सै इसकी खोज किसनै करी थी अर कौनसे देश मैं हुई थी? ईब आल्ले दिवाल्ले क्यों देखण लागग्या बता? इसकी खोज इटली में हुई अर इसे करकै फेर इंग्लैंड नै अंगड़ाई ली अर सब पिछाड़ दिये। म्हारा सारा कच्चा माल सस्ते दामां पै लगे समुन्द्री जहाजां मैं भर भर के नै। ये परम्परावां आले बहोत चिल्लाये थे उड़ै बी फेर उड़ै का समाज म्हारे की ढालां बोतडू समाज नहीं था। लालू जी नै अर ममताजी नै जितनी भाप के इंजन की रेल चलवाई सैं ये सारे बन्द करवाद्यो। ये तो बदेशी धरती पै उपजी सैं अर पाश्चात्य संस्कृति का खेल सै इनमैं। खुर्दबीन की खोज का बेरा सै कित हुई थी? गेर रै गेर पता गेर। इस रणबीर की बातां मैं मत आ जाईयो। खाप के पंचातियां की बस मानते जाईयो क्योंकि वे दिमाग तै सोच्चण आली बातै कोन्या कहते। खैर! खुर्दबीन की खोज नहीं होत्ती तो म्हारा आगे का विकास रुक जाता। नीदरलैंड जगहां सै जित इस खुर्दबीन की खोज हुई बताई सै। या बी म्हारे प्यारे देश भारत की खोज कोन्या। ये जितने माइक्रोस्कोप सै लैबां मैं सबनै ठाकै बाहर फैंक दयो म्हारे खापी भाइयो। फेर इननै बाहर फैंकण का के मतलब सै, इसका बी अन्दाजा होगा ना आपां नै? बैरोमीटर तै टॉरिसलो नै मौसमी खबरां के बारे मैं जानने का रास्ता साफ करया। कैहद्यो कोन्या चाहन्दा यू बैरोमीटर हमनै। टैलीग्राफ की खोज नै फ्रांस की शान बढ़ाई सै। बेरा सै अक नहीं? नहीं बेरा तो ईब तो बेरा पाटग्या। करवादे ये सारे तारघर बन्द। फ्रांस तै म्हारा के लेना-देना? इटली के पी टैरी नै टाइपराइटर का मॉडल बणा दिखाया सै। करवाद्यो टाइपराइटर आल्यां की दुकान बन्द। माचिस की खोज बी बदेशां मैं हुई बताई। मत ल्याओ अपने घर मैं माचिस। करवाद्यो माचिस बनाने के कारखाने बन्द। साईकिल के बनाने आले का नाम मैकलिन गया बताया तो यो नाम बी पश्चिमी कल्चर का सै, इस करकै साइकिल का बहिष्कार बी करो। आवै सै किमै समझ मैं अक न्योंए बैंडण लागरया सूं? फैक्स मशीन 1843 मैं तैयार होगी थी कित ईजाद हुई न्यों तो मनै बी कोन्या बेरा पर इतना पक्का सै अक भारत देश महान मैं तो इसकी खोज नहीं हुई। ये जो भारतीय संस्कृति की जफ्फी पायें हांडैं सैं इनके हरेक के घर मैं फैक्स मशीन धरी पाज्यागी। ये म्हारे कई बाबू जी सैं जो बड्डे धर्म प्रचारक माने जाते हैं। ये भी तड़के तै लेकै सांझ ताहीं साइंस ने गाल बके जावैं सैं। अतिभौतिकवाद नै न्यों कर दिया अर न्यों कर दिया। अर हम भी सैड़ देसी उनकी हां मैं हां मिलाद्यां सां। ये जो साइंस नै कोसैं सैं पाणी पी पी कै, येहे विज्ञान का सबतै फालतू इस्तेमाल खुद करैं सैं। म्हारे भारत के वातावरण मैं सही के सैं अर गल्त के सै इस पर बातचीत अर बहस के तरीके तो काढ़ने पड़ैंगे। एक सिविक समाज, एक सभ्य समाज का निर्माण भारत मैं अर खासकर हरियाणा मैं या बख्त की मांग सै अर इसमैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण की विवेक की अर तर्क की अहम भूमिका रहेंगी। आई किमै समझ मैं?

No comments:

Post a Comment