Sunday, May 17, 2020

कट्टरपंथ का बोलबाला

कट्टरपंथ का बोलबाला
आजकल हिन्दू कट्टरपंथ अर मुस्लिम कट्टरपंथ अपने-अपने ढंग तै लोगां ताहिं पहोंचण लागरया सै अर बहोतै गैर वैज्ञानिक ढंग तै तथ्यां नै मरोड़-तरोड़ कै लोगां की भावनावां तै सोचे-समझे ढंग तै खिलवाड़ करया जाण लागरया सै। 1983 मैं बनी गोपाल सिंह की रिपोर्ट आज 2006 मैं भी प्रासंगिक लागै सै क्योंकि ये तथ्य आज बी कमोबेश उसे एसे सैं। खास बात या सै अक ये तथ्य खुद मैं बहोत चौंकावण आले सैं अर ‘तुष्टीकरण’ जिसे जुमल्यां का अर इसके मांह कै ढाये गये सवालां का जवाब बी इनके मांह कै अपने आप बोलता दिखाई दे सै। नमूने के तौर पै लिये गये जिल्यां में जेड़ै मुस्लिम आबादी 17.32 प्रतिशत सै, उसकी तुलना मैं ‘प्राथमिक’ स्कूल के स्तर पै या न्यों कहवै अक कक्षा एक तै आठमी कक्षा ताहिं मुसलमानां का पंजीकरण कुल पंजीकरण का 12.39 प्रतिशत सै। इसे ढाल एक तै पांचवीं तक शिक्षा अधूरी छोड़कै जावण आले मुसलमान विद्यार्थियां की दर अर सामान्य समुदायां की दर बराबरै सी थी। उत्तर प्रदेश के च्यार जिल्या - हमीरपुर, नैनीताल, रामपुर अर सहारनपुर मैं शिक्षा अधूरी छोड़ण आले सामान्य बालकां की दर 78 प्रतिशत थी अर मुसलमान बालकां की दर 90 प्रतिशत थी। उदाहरण के राज्यां मैं 11.28 प्रतिशत की मुसलमान जनसंख्या के मुकाबले मैं कक्षा 10 मैं शामिल हुए मुसलमान विद्यार्थी 4 प्रतिशत थे। माध्यमिक स्कूल स्तर अर्थात् कक्षा 9 तै 12 पै मुसलमान विद्यार्थियां का पंजीकरण उनकी संख्या 18.56 प्रतिशत की तुलना में 10.56 प्रतिशत था। उच्च माध्यमिक स्तर अर्थात् कक्षा 12 पर बोर्ड की परीक्षा मैं शामिल हुए मुसलमान विद्यार्थी कुल संख्या का 2.49 प्रतिशत थे।
सर्वेक्षित राज्यां मैं उनकी जनसंख्या 10.3 प्रतिशत तै यो बहोत थोड़ा था। सामान्य उत्तीर्णता प्रतिशत 60.76 की तुलना मैं इन परीक्षावां मैं उत्तीर्ण मुसलमान विद्यार्थियां का प्रतिशत 50.74 था। इसे ढालां एमबीबीएस के स्तर पै 8 राज्यां तै संबंधित 12 विश्वविद्यालयां तै प्राप्त सूचनावां तै मालूम पाटी अक इस परीक्षा में शामिल मुस्लिम विद्यार्थियां का प्रतिशत कुल विद्यार्थियां का 3.44 था जो उनकी जनसंख्या 9.55 प्रतिशत की तुलना मैं काफी कम था। इसे ढालां देखैं तो 1971 तै लेकै 1979 ताहिं आईपीएस की भर्ती मैं अर्थात् नौ साल मैं तै केवल पांच सालां मैं ए आईपीएस भर्ती मैं मुसलमानां का प्रतिनिधित्व था। उनकी 11.20 प्रतिशत जनसंख्या की तुलना मैं यो 2 प्रतिशत का आंकड़ा काफी अपर्याप्त औसत कहया जा सकै सै। और बी घणे ए आंकड़े इस रिपोर्ट मैं अलग-अलग क्षेत्रां के बारे मैं दिये गये सैं। आड़ै या बात बहोत जरूरी सै अक हम अपने विवेक अर तर्क का इस्तेमाल करकै ए किसे बात का आकलन करां ना कि भावनावां पै बहकै। हिन्दू-मुस्लिम के कृत्रिम बंटवारे म्हारे बीच मैं खड़े कर दिये गये इन धार्मिक कट्टरपंथियां द्वारा बरना कोए भी मनुष्य का बच्चा भाषा, धर्म, जाति, रंग अथवा धन के आधार पै किसे भी जाति अर कै धर्म तै जन्म तैए संबंध कोन्या राखता। वो केवल मनुष्य के बच्चे के रूप मैं ए पैदा होवै सै। बच्चों के मन मैं विचार जातपात के बड़े बडेरयां द्वारा अपने विश्व दृष्टिकोण के हिसाब तै भरे जावैं सैं। एक नये बच्चे नै जाट, ब्राह्मण, हरिजन कै पंजाबी, बंगाली, हिन्दू, ईसाई कह देना गल्त बात सै।
भाषावां का ज्ञान बी बालक अपने बड्यां धोरै ए सीखै सै। प्राकृतिक तौर पर तो वो मनुष्य का ए बालक होवै सै। एक ईसाई के बालक नै जै कोए पंजाबी हिन्दू गोद लेले पैदा होन्ते की साथ तो बड्डा हौके वा बालक पंजाबी हिन्दू बन ज्यागा। जै उस ताहिं पंजाब के पूर्वजां की कुर्बानियां के बारे मैं बताया जावै तो वो पंजाबी भाषा अर हिन्दू धर्म की रक्षा की खातर जीवन बलिदान करण नै तैयार हो ज्यागा जबकि उसके मां-बाप ईसाई थे अर उनकी भाषा अलग थी। सवाल यू सै अक म्हारी सामाजिक चेतना का विकास किसे ढाल का होसै अर क्यूकर होसै? हिन्दू कट्टरपंथ नै मुसलमानां के बारे मैं कुछ मिथ्या धारणाएं फैलाई ज्यूकर मुसलमान राजाओं नै हिन्दुआं का अपमान करण की खातर मंदिर तोड़े, भारत मैं इस्लाम का प्रचार तलवार के दम पै करया। ये च्यार-च्यार शादी करकै बीस-बीस बालक पैदा करैं सैं। ये बहोत खूंखार हों सैं। इस इस्लाम करकै ए दुनिया मैं आतंकवाद फैलण लागरया सै। इनमैं घणी सी सच्चाई कोन्या। फेर ये बात सुणकै मुस्लिम कट्टरपंथियां नै बी मौका पा ज्या सै मुसलमानां की भावना भड़कावण का। सोमनाथ का मंदिर तोड़ण मोहम्मद गजनवी गजना शहर तै आया था। राह मैं बहुत सारे हिन्दू मंदिर पड़े होंगे। उसनै ये सब मंदिर क्यों ना तोड़े? राह मैं बामियान की विशाल बुद्ध की मूर्तियां भी देखी होंगी, उनकै हाथ क्यों नहीं लाया? सोमनाथ मंदिर क्यों चुन्या? राह मैं मुल्तान की जामा मस्जिद भी टूटी थी दो मुसलमानां की लड़ाई मैं। एक गजनवी था। करीब 200 करोड़ के हीरे-जवाहरात लूटे सोमनाथ मंदिर मैं अर यों कहकै अक मुसलमान धर्म मैं मूर्ति पूजा को मान्यता नहीं अर मंदिर तोड़ दिया। जै इस्लाम इतना प्यारा था तो मस्जिद क्यों तोड़ी गजनवी नै? उसकी फौज मैं एक तिहाई हिन्दू क्यों थे? 12 सिपहसलारां मां तै 5 हिन्दू थे तिलक, सौंधी, हरजान, राणहिंद आदि मंदिर की लूट पाछै उड़े एक हिन्दू राजा की नियुक्ति करी गजनवी नै। क्यों अर कैसे की साथ जै आकलन करया जावै तो वो सही तसवीर खींच दे सै अक धार्मिक कट्टरवाद चाहे हिन्दू धर्म का सै अर चाहे मुस्लिम धर्म का सै या मानवता विरोधी सै। कोई धर्म हमनै माणस मारना नहीं सिखाता फेर बी सांप्रदायिक दंग्या मैं सबतै फालतू माणस मारे जावैं सैं। क्यों? सोचो मेरे बीरा आखिर या मारकाट क्यों ?
ranbir dahiya

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