Friday, February 17, 2023

एनआरसी*   *प्रश्न 3*

 एनआरसी*  

*प्रश्न 3*

*सरकार का कहना है कि पड़ौसी देशों के अल्पसंख्यकों के संरक्षण और नागरिकता देने में यह कानून मददगार है। यदि ऐसा है तो फिर इसका विरोध क्यों करना चाहिये ?*

*उत्तर:*

*सरकार सरासर झूठ बोल रही है । सरकार ने इस संशोधित कानून में 3 पड़ोसी देशों पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान का जिक्र किया है , जबकि हमारे पड़ोसी देशों की संख्या 7 है । क्या सभी देशों के अल्पसंख्यकों को संरक्षण और नागरिकता की बात नहीं करनी चाहिए ?*  

          *उदाहरण के लिए श्रीलंका में रहने वाले तमिल अल्पसंख्यकों पर यदि दमन होता है और यदि वे भारत आएं तो उनके बारे में कोई प्रावधान नहीं है।*

         *करीब 90000 तमिल शरणार्थी पिछले 20 वर्षों से भारत में रह रहे हैं। बर्मा में रहने वाले रोहिंग्या  दमन का शिकार होकर आ रहे हैं, वे तो भारत मूल के नागरिक हैं ।उनके बारे में भी कानून में कोई प्रावधान नहीं है।*

            *भूटान से आने वाले ईसाइयों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है।* 

          *नेपाल से मधेसी भी यदि भारत में आएं तो उनके लिए भी कोई व्यवस्था इस कानून में नहीं है।*

           *पाकिस्तान से भी यदि अहमदिया या बलोच या कट्टरपंथी तबके के शिकार नागरिक आते हैं तो उन्हें भी इस कानून के तहत कोई संरक्षण नहीं है।*

               *दूसरी बात यह है कि कोई राजनीतिक या दूसरे कारणों से भारत में शरण मांगता है तो क्या होगा ? जैसा बांग्लादेश के इस्लामी कट्टरपंथियों के डर से तस्लीमा नसरीन भारत में रही। बीच में कुछ वजहों से तस्लीमा नसरीन  को कोलकाता छोड़ने के लिए कहा गया था तो तब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते उन्हें गुजरात में रहने का न्योता दिया था। मगर इस कानून के अंतर्गत तो यह संभव नहीं है।*

         *मोदी जी तीन तलाक के नाम पर महिलाओं की बात करते हैं । अफगानिस्तान में तो सबसे ज्यादा उत्पीड़न मुस्लिम महिलाओं का हुआ। जहां बुर्क़ा न पहनने पर उन्हें लाइन में खड़ा कर एक ही गोली से अनेक महिलाओं की हत्या की गई। इन महिलाओं के बारे में कानून कुछ नहीं कहता है।*

       *पाकिस्तान में जब अवामी और इंकलाबी शायर हबीब जालिब और फैज अहमद फैज ओ जेलों में ठूंसा  गया तो क्या यह प्रताड़ना नहीं थी ?या भारत के भी कट्टरपंथियों पर व्यंग्य '' तुम बिल्कुल हम जैसे निकले के कसने फहमीदा रियाज को भी जिया उल हक के शासन में भारत में रहना पड़ा।*

         *इस तरह के उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता और संरक्षण देने पर यह कानून खामोश है। जबकि यह तो भारत के संविधान की मूल अवधारणा है और हमारी परंपरा भी ।*

        *सरकार का एकमात्र मकसद इस कानून के जरिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है । यह केवल पाकिस्तान या मुसलमान के नाम पर ही संभव है । इसलिए भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कानून को बनाया है।*

         *मजेदार बात यह है कि कानून के मसौदे में इन देशों को इस्लामिक देश का गया है जबकि बांग्लादेश तो धर्म पर आधारित राज्य नहीं है वहां के संविधान के अनुसार उसका नाम जनवादी गणराज्य बंगलादेश है।*

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