Friday, February 17, 2023

एनसीआर की पूरी प्रक्रिया बेहद महंगी है:::*

 एनसीआर की पूरी प्रक्रिया बेहद महंगी है:::*

 *असम में पूरी प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए 52000 कर्मचारी लगे, 1600 करोड़ रुपये का सरकारी खर्च आया ।*    *इसके अलावा लोगों ने अपनी नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया में यात्रा खर्च, कागजात बनवाना रिश्वत देना ,मजदूरी छोड़ना आदि में 7800 करोड़ रुपए खर्च किए हैं ।*          *यानी कुल खर्च हुआ 9400 करोड़ रुपया या प्रति व्यक्ति 2850 रूपये।* 

         *इसके अनुसार पूरे देश में एनआरसी  लागू की जाए तो 3,84,750 करोड़ रुपए खर्च होंगे।* 

            *इसके साथ ही जो लोग अपनी नागरिकता प्रमाणित कर नहीं पाएंगे, उन करोड़ों लोगों के लिए जो डिटेंशन सेंटर बनाने होंगे उनका खर्च भी शामिल कर लें तो यह सब सरकारी खजाने पर भारी बोझ होगा।*

     *वित्त वर्ष 2020-21 के बजट के अनुसार सरकार साल भर में शिक्षा पर 99,312  करोड रुपए और स्वास्थ्य पर 67,484 रूपये  खर्च करेगी । इसमें विज्ञान विभाग और ग्रामीण विकास भी जोड़ लें तो सब मिलाकर भी यह एनआरसी के खर्च से लगभग 43, 000 करोड कम है ।*                    *इसी बजट में सरकार ने खाद, खाद्यान्न और पेट्रोलियम पर कम  सब्सिडी दी है।* 

        *एनआरसी पर होने वाले कुल अनुमानित खर्च से देश भर में 692 विद्यालय खोले जा सकते हैं*

         *सरकार नौजवानों को रोजगार देने और नई भर्तियां निकालने के नाम पर आर्थिक तंगी का रोना रोती है ।*

         *सरकार के पास कुपोषण और भुखमरी की शिकार अपनी बहुसंख्यक आबादी को पौस्टिक और  भरपेट खाना मुहैया करवाने के लिए पैसे नहीं हैं।* 

             *इसके बावजूद सरकार इस देश की जनता को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करके अपना वोट बैंक बढ़ाने की रणनीति के तहत सीएए और एनआरसी लगाने पर  अड़ी है और अहंकार पूर्वक कह रही है कि वह एक कदम पीछे नहीं हटेगी ।* 

            *सवाल यह भी है कि सरकार इतनी महंगी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए धन कहां से लाएगी ?*

    *क्या वह गरीबों की थाली से रोटी का बचा खुचा  टुकड़ा भी छीन लेगी ?*

      *देशव्यापी विरोध को और जन आंदोलन को नजरअंदाज करके सरकार सीएए और एनआरसी को लेकर इतनी महंगी कवायद क्यों कर रही है ?*

                   *सरकार कई बार दौरा चुकी है कि वे देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक पहुंचाना चाहती है।*

       *यह शगुफा है । सच्चाई है कि भारत की अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार है ।* 

    *विनिर्माण और सेवा के क्षेत्र में गिरावट जारी है ।*

    *नई नौकरी निकालने के बजाय सरकारी दफ्तरों को बंद किया जा रहा है।*

         *निजी क्षेत्र में रोजगार पैदा नहीं हो रहा है उल्टे लोगों की छंटनी हो रही है।*

         *जब लोग अपने जिंदा रहने को लेकर हैरान परेशान रहेंगे तो जाहिर सी बात है कि रोजगार , स्वास्थ्य, शिक्षा को लेकर सरकार से सवाल पूछेंगे ही ।* 

           *ऐसे में कोई भी सरकार जो अपनी जनता की मूलभूत जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती, लोगों को भरमाने के लिए नई-नई तरकीब निकालती है । सीएए और एनआरसी इसी की उपज है।*

       *जनता हिंदू मुसलमान की बहस में उलझी रहे , सांप्रदायिक विभाजन और नफरत के बीच चुनाव जीतती रहे और सरकार के कामकाज पर कोई सवाल न उठे,  इस मंशा से सरकार कामयाब होती नजर आ रही है ।* 

         *सरकार की मंशा का पर्दाफाश करना और उसे जनता के बीच लेकर जाना , आज हर जागरूक नागरिक का कर्तव्य है

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