Wednesday, February 8, 2023

हमें तो ताश खेलने से ही फुर्सत नहीं है

 हमें तो ताश खेलने से ही फुर्सत नहीं है

रणबीर

हरियाणा में आज के दिन महिलाओं की जिंदगी तनाव , असुरक्षा , अभाव और असहायता मतलब लाचारी में डूबती जा रही लगती है।

दूसरी तरफ हम कह सकते हैं कि महिलाओं ने खेलों में तम्बू गाड़ दिए । ठीक ।  पर वे इस कारण नहीं गाड़ पाई कि हमने गावों में खेलने कूदने  का उनके लिए कोई बेहतर माहौल बना कर दिया हो , वे अपनी लग्न और अपनी खुबात  से जीत कर लाई हैं मैडल ।  महिला के एक हिस्से का जहां असरशन बढ़ा है वहीं दूसरी ओर औरत पर शिकंजा और मजबूत होता जा रहा लगता है हरियाणा में।  महिला भ्रूण हत्या , दहेज़ हत्या , इज्जत के नाम पर हत्या का ग्राफ ऊपर की तरफ ही जाता दिखाई दे रहा है। यौन उत्पीड़न ,बलात्कार , छेड़ छाड़ ,डराना-धमकाना ,घरेलू हिंसा ,औरतों का अपमान , असुरक्षा और घुटन इस हद तक बढ़ गये कि नेताओं  ने और लोगों ने यूं मान लिया कि ये तो आम बात हैं । 

        कुछ आंकड़े  राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के भी इसी की पुष्टि करते हुए लगते हैं।

1.लिंग अनुपात 926 है यानी 926 महिलाएं हैं प्रति 1000 पुरुषों पर। 

2. लिंग अनुपात पिछले 5 साल में जन्म के वक्त है--893

3. 20 से 24 साल की महिलाएं जिनकी 16 साल से कम उम्र में शादी हुई-12.5%

4. सीजेरियन सेक्शन से डिलीवरी का प्रतिशत 2015-16 में 11.7% था जो अब 19.7% हो गया।

5.15 से 49 साल की महिलाएं जी एनीमिक हैं--60.4%

6. 18.2% महिलाएं (18 से 49 साल )  हैं जिन्होंने स्पॉउज वायलेंस झेली है--18.2%

7. हरियाणा में साल-दर साल बढ़ रही बलात्कार की घटनाएं,पिछले 8 वर्षों में 2021 में सर्वाधिक 1546 बलात्कार के मामले हुए दर्ज।

8. एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में, महिलाओं के खिलाफ अपराध में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2020 में 13,000 से बढ़कर 2021 में 16,658 हो गई है।

9. राज्य ने नाबालिग लड़कियों (आईपीसी की धारा 366 ए) की खरीद के 992 मामले दर्ज किए, जिनमें 1,099 पीड़ित थे। यहां भी, राज्य प्रति लाख जनसंख्या पर 7.1 मामलों की अपराध दर के साथ देश में शीर्ष पर है।



आर्थिक संकट आज दरवाजे पर आकर  खड़ा हो गया और परिवार टूटते नजर आते हैं।  जीवन के साफ़ सुथरे साधन बचे नहीं तो खुली छिप्पी वैश्यावृति की तरफ भी औरत हर जगह धकेली जा रही हैं ऐसा भी सुनने में आ रहा है ।

    अराजकता और मनमानेपन का जो माहौल यहां बणा दिया गया है उसमें महिलाओं को 'सस्ते मैं उपलब्ध और'आसानी तैं उपलब्ध शिकार'  के  रूप मैं देखा जाता है । इस आर्थिक असमानता और सामजिक  असमानता के चलते ताकतवर तबके महिलाओं के साथ कुछ भी और किसी भी हद तक पता नहीं कितना घृणित काम कर सकते हैं ।  कुल मिला कर सौ का तोड़ ये है कि महिलाओं का अवमूल्यन हुआ है ।

     गरीब से गरीब तबकों में भी उनके अपने समुदाय और परिवार के बीच में  महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं । औरतों को ' क्षणिक मजे की चीज ' की तरह देखना और इस तथाकथित मजे के लिए इन औरतों को मौका लगते की साथ घेर लेना बड़ी आसान और आम बात हो गई । पिछले दिनों मैं हरियाणा में परित्यक्ताओं और औरतों के साथ संबंधों मैं धोखाधड़ी बहोत बधी है।  ब्याह के कुछ दिन बाद ही लड़कियों पर हिंसा बढ़ी है और क़त्ल और आत्म हत्या के केस सामने आ रहे हैं ।

    दूसरी तरफ लिंग अनुपात मैं विषमता के कारण लड़कियां दूर दूर से खरीद कर लाई जा रही हैं और औरत पसंद नहीं आये तो उसको वापिस छोड़ आये और उसकी बहण को  ले आये उसकी जगह ,ऐसी घृणात्मक बातें भी सुनने में आती रही हैं । एक दौर के बादअब तो औरतों के खरीद फरोख्त के धंधे मैं दलाल भी पैदा हो गए सुनते हैं ।  ये खरीद फरोख्त तेजी  से रफ़्तार पकड़ रही है और औरतों के हक़ में आवज उठाने  वाली   जनवादी महिला समिति जैसी संस्थाएं बहोत थोड़ी हैं ।  

      हरियाणा के समाज मैं संघर्ष करने वाली महिलाओं के लिए 'स्पोर्ट सिस्टम 'की बहोत कमी है ।  जितनी सामाजिक असुरक्षा बढ़ती जा रही है उसके हिसाब से यूं एक दो नारी निकेतन का मामला कोणी रह रहा।   परित्यक्ताओं , एकल माओं ,अविवाहित महिलाओं ,यौन उत्पीड़न की शिकार  महिलाओं ,बच्चियों की  जरूरतों का ध्यान रख कर और सोच  समझ कर समाज में उनका स्थान बनाना बहोत जरूरी हो गया है। शार्ट स्टे होम , कामकाजी महिला हॉस्टल ,लड़कियों के हॉस्टल , मुफ्त जच्चा बच्चा केंद्र , कानूनी सहायता केंद्र , सलाह केंद्र, तनाव मुक्ति केंद्र , मनो-चिकित्सा केंद्र, कौशल विकसित करने वाले कार्यक्रम , एकल माओं के बच्चों की शिक्षा के लिए अनुदान और कर्ज की सुविधा , महिला स्वास्थ्य केंद्र , व्यायाम शालायें , सामूहिक रसोईघर , की मांग जरूरी हो गई हैं। हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए कानून और स्वास्थ्य से संबंधित आपातकालिक व जल्द सेवाओं की मांग गम्भीरता से  समाज मैं उठानी बहोत जरूरी हो गई और इस के लिए कुछ संस्थाएं सक्रिय भी हैं । जो भी जहां है उसे इस स्पोर्ट सिस्टम को खड़ा करने में अपना योगदान जरूर करणा चाहिए ।  इसके साथ साथ सरकार पर भी दबाव बढ़ाना चाहिए इस स्पोर्ट सिस्टम के विकास के लिये।

   हरियाणे में पढ़े लिखे लोगों में लिंग अनुपात एक हजार पुरुषों पर छह सौ सतरह महिलाओं का पहोंच गया था कुछ साल पहले । अभी भी 926 ही है। आम जन में यह अनुपात 1000 पुरुषों पर 877 महिलाओं का ही है आज के दिन। यह खतरे की घंटी बजी रही है हरियाणा में । पर लोगों को ताश खेलने से फुर्सत नहीं , या बणी की दो सो गज जमीन पर कब्ज़ा करने की जुगाड़ बाजी में हैं । इन सारी  बातों पर गांव और शहर की महिलाओं को और पुरुषां  को गंभीरता से विचार करने  की जरूरत है।

रणबीर सिंह दहिया

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