Tuesday, February 7, 2023

पुस्तकालय का महत्व, चुनौतियां व समाधान 

 पुस्तकालय का महत्व, चुनौतियां व समाधान 


पुस्तकालय वह स्थान है जहां अलग-अलग विषयों पर ढेर सारी पुस्तकों को एक जगह  कम्रवार

 रखा जाता है और सभी पाठकों को आसानी से उपलब्ध रहती हैं। सभी के लिए पुस्तकें खरीद कर पढ़ना आसान नहीं होता और ढेर सारी किताबें खरीद कर पढ़ना तो और भी मुश्किल होता है हालांकि कुछ लोग पुस्तकें खरीद कर पढ़ते हैं और कुछ थोड़े से लोग  अपना खुद का पुस्तकालय घर पर भी बना कर रखते हैं । सार्वजनिक पुस्तकालय में पाठक ढेर सारी किताबें पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकता है एक पुस्तक को एक बार पढ़कर व्यक्ति लौटा देता है और तब उसे कोई दूसरा पढ़ सकता है ।घर पर पढ़ने का उतना माहौल नहीं बनता पुस्तकालय में शांति से एकाग्र होकर पुस्तकें पढ़ी जाती हैं । कहते हैं किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। किताबों को पढ़ने से आदमी की सोच का विस्तार होता है। पुस्तकालय में ज्ञान हासिल करने के साथ-साथ शांति से पढ़ने का माहौल भी बनता है। एक अच्छे पुस्तकालय में हर उम्र के लोगों की रूचि के अनुसार पुस्तकें होती हैं । पुस्तकालय में ढेरों किताबें, बैठने के स्थान की व्यवस्था के साथ-साथ उसके रखरखाव के लिए और पाठकों को पुस्तकें जारी करने में पुस्तकों का रिकॉर्ड रखने के लिए एक लाइब्रेरियन की भी जरूरत होती ह।  ज्ञान विज्ञान आंदोलन द्वारा चलाए जा रहे पुस्तकालयों में से यह भी अनुभव निकल कर आया है कि जहां भी पुस्तकालय चलाया जाता है वहां पर पुस्तकालय चलाने के लिए एक टीम का होना भी जरूरी है, जो पुस्तकालय की जरूरतों और संचालन में आ रही दिक्कतों को बैठक में चर्चा करके समाधान निकाल सके । सार्वजनिक पुस्तकालय के संचालन के लिए संसाधनों की व्यवस्था तो अक्सर स्थानीय लोगों के सहयोग से हो जाती है लेकिन पाठकों का नियमित रूप से पुस्तकालय में आना और वहां पर बैठकर अध्ययन करना भी एक चुनौती से कम नहीं है ,  क्योंकि लोगों में अभी साहित्य व पुस्तक पढ़ने में अक्सर कम रुचि देखी जाती है।  विद्यार्थी भी पुस्तकालय में आकर अपनी पढ़ाई कर सकते हैं और करते भी ह। इसके साथ साथ प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी पुस्तकालय में बैठकर की जा सकती है क्योंकि पुस्तकालय में पढ़ने का माहौल बनता है । आज पुस्तकालय की आवश्यकता हर गांव में है क्योंकि शहरों में सार्वजनिक पुस्तकालय के साथ-साथ निजी पुस्तकालय भी उपलब्ध है ।निजी पुस्तकालय के संचालक पाठकों से कुछ शुल्क मासिक आधार पर नियमित रूप से  लेते हैं । गांव के कुछ युवाओं को अपने अध्ययन ,विशेष तौर पर प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए अध्ययन करने शहर के निजी पुस्तकालय में शुल्क देकर भी पढ़ने के लिए जाते देखा गया है।  गांव में पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध होने पर उनका पुस्तकालय का शुल्क, आने-जाने का खर्च के साथ-साथ समय की भी बचत होती है । 


 समस्याएं 


1-समाज में पुस्तक संस्कृति की कमी है ।लोग टीवी,गूगल व अन्य माध्यमों से भी सूचना प्राप्त करने  व ज्ञान बढ़ाने का जरिया ढूंढने लगते हैं ।

2-पुस्तकालय संचालन के लिए प्रशिक्षित व अनुभवी लोगों की भी कमी है ।

3- सांझे कार्यों में लोगों की रुचि हालांकि पहले से ज्यादा बढ़ी है फिर भी अभी काफी कुछ करना बाकी रहता है । 

4-पुस्तकालय के महत्व को समझने वाली स्थानीय टीम का अभाव भी एक समस्या के रूप में रेखांकित हुआ है जिसे संगठन का निर्माण करके हल किया जा सकता है ।


समस्याओं का समाधान


 जब हम समस्याओं पर मिलजुल कर बैठकर विचार करते हैं तो समाधान भी निकल ही आते हैं। सबसे पहले तो पुस्तकालय क्यों जरूरी है इसे संचालन करने वाली टीम समझे व गांव के लोगों से इस बारे में बार-बार संवाद करें और पाठकों को पुस्तकालय में आने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए उसके लिए शिक्षण संस्थाओं, सरकारी व निजी स्कूलों व कॉलेजों के अध्यापकों व विद्यार्थियों से संपर्क करना चाहिए, ग्राम पंचायत तथा अन्य समाजसेवी संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी सहयोग लेना चाहिए। जिससे पाठकों के साथ साथ पुस्तकालय के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध हो सकेंगे। पुस्तकालय में समय-समय पर अलग-अलग विषयों पर विचार गोष्ठी व  सेमिनार आदि भी किए जाने चाहिए। इसके साथ ही ऑडियो व वीडियो जैसी आधुनिक चीजों का प्रयोग भी अच्छी तरह करना चाहिए। अच्छी फिल्में ,गीत कविताएं ,नाटक ,डॉक्यूमेंट्री आदि दिखाने की व्यवस्था भी करनी चाहिए ।और उन विषयों पर चर्चा कर सवाल-जवाब भी होने चाहिए जिससे स्थानीय लोगों की रूचि बढ़ेगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को कई पुस्तकें और पत्र पत्रिकाएं पढ़नी पड़ती हैं। जिसे गरीब व साधारण परिवारों से आने वाले युवा वहन करने में कठिनाई महसूस करते है।  उनसे संवाद करके उनकी इस जरूरत को पुस्तकालय संचालन कमेटी अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूरी करने की भी कोशिश करे। ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा लंबे समय से चलाए जा रहे पुस्तकालयों के अनुभव से यह भी निकल कर आया है कि पुस्तकालयों में बैठकर जो युवा प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से रोजगार पाते हैं या यूं कहें अपनी जिंदगी के संघर्ष में कुछ सफल हो जाते हैं तो वह पुस्तकालय के संचालन में काफी सहयोग करते हैं ।


निष्कर्ष :

पुस्तकालय संचालन अपने आप में एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है और समाज को बेहतर बनाने के काम में लगे लोगों के लिए एक जरूरी साधन भी है । पुस्तकालय खोलने से पहले स्थानीय लोगों से काफी विचार-विमर्श जरूरी है और एक संचालन कमेटी का गठन पहले से किया जाना चाहिए । सुचारू रूप से चलाने के लिए सक्रिय योजना और प्रचार के साथ-साथ आवश्यक पैसे का भी प्रबंध करना चाहिए ।पुस्तकालय समाज को शिक्षित व आधुनिक विचारों वाला समाज बनाने में बेहद मददगार है ।पुस्तकों से हम अपनी समस्याओं को समझने व अपने सवालों का जवाब पाने में सक्षम होते हैं। जैसा कि  किसी ने कहा है-

 कोई मेरे हाथ में ऐसी किताब दे ,  उलझे हुए सवाल का जो सीधा जवाब दे।

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